राष्ट्रीय जनता दल (राजद) वक्फ संशोधन विधेयक को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने जा रहा है। पार्टी की ओर से राज्यसभा सांसद मनोज झा और पार्टी नेता फैयाज अहमद ने याचिका भी दायर करने जा रहे हैं। दोनों कल यानी सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय में विधेयक के प्रावधानों को चुनौती देंगे। उनकी दलील है कि इससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। इससे पहले कांग्रेस और द्रमुक ने भी भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और निगरानी पर विधेयक के संभावित प्रभाव पर चिंता जताते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख करने का एलान किया था।
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- कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने वक्फ (संशोधन) विधेयक को चुनौती देते हुए 4 अप्रैल को शीर्ष कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जावेद वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य भी थे।
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- 4 अप्रैल को ही ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
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- आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक अमानतुल्लाह खान ने भी शनिवार को वक्फ विधेयक को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट (एससी) का दरवाजा खटखटाया था।
- एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नामक एक गैर सरकारी संगठन ने भी इस विधेयक का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
- तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की पार्टी द्रमुक ने भी मामले को सुप्रीम कोर्ट में उठाने का एलान किया था।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विधेयक को मंजूरी दी
इस बीच राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वक्फ (संशोधन) विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी है। इसे बजट सत्र के दौरान संसद ने पारित किया था। राष्ट्रपति ने मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2025 को भी अपनी मंजूरी दे दी है। शनिवार को जारी कानून मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने दोनों विधेयकों को अपनी मंजूरी दे दी है। शुक्रवार को राज्यसभा ने विधेयक के पक्ष में 128 और विपक्ष में 95 मतों से इसे पारित किया था, जबकि लोकसभा ने लंबी बहस के बाद गुरुवार को विधेयक को मंजूरी दे दी थी। यहां 288 सांसदों ने इसके पक्ष में और 232 ने इसके विरोध में मतदान किया था।