अरावली में खनन की छूट भाजपा सरकार का पर्यावरण-विरोधी और विनाशकारी निर्णय: कुमारी सैलजा
कहा-सरकार की गलत नीतियां संकट में डाल रही हैं हमारे प्राकृतिक संसाधनों को
चंडीगढ़, 03 दिसंबर।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने भाजपा सरकार द्वारा अरावली पर्वतमाला में 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को खनन प्रतिबंधों से बाहर करने के फैसले को भारत के पर्यावरण और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताया है। सरकार का यह निर्णय पर्यावरण-विरोधी और विनाशकारी है। सरकार की गलत नीतियां हमारे प्राकृतिक संसाधनों को संकट में डाल रही हैं।
मीडिया को जारी एक बयान में सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि अरावली केवल एक पर्वतमाला नहीं, बल्कि उत्तर भारत की पारिस्थितिक जीवनरेखा है। यह राजस्थान-हरियाणा-दिल्ली क्षेत्र को रेगिस्तानीकरण से बचाती है, जल-संरक्षण में प्रमुख भूमिका निभाती है और करोड़ों लोगों के जीवन को सुरक्षित रखती है। ऐसे में भाजपा सरकार द्वारा खनन माफिया को खुली छूट देना घोर गैर-जिम्मेदारी है। सांसद ने कहा कि सरकार का यह निर्णय अवैध खनन को वैध बनाने और पर्यावरण को नष्ट करने की दिशा में उठाया गया खतरनाक कदम है। अरावली की पहाड़ियों का नाश सीधे-सीधे हमारे जलस्रोतों, हरियाली, भू-जल स्तर और नागरिकों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालेगा। सांसद ने चेताया कि हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र पहले ही प्रदूषण और जल-संकट से जूझ रहे हैं। ऐसे में अरावली को कमजोर करना पूरे क्षेत्र के लिए पर्यावरणीय आपदा का रूप ले सकता है। सांसद कुमारी सैलजा ने सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि यह अवैध खननकर्ताओं और माफियाओं के लिए खुला निमंत्रण है और इससे अरावली पहाड़ियों का बड़े पैमाने पर विनाश हो सकता है। इस निर्णय से मरुस्थलीकरण के बढ़ने और पर्यावरण पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है।
सांसद ने सरकार से मांग की है कि अरावली क्षेत्र में खनन पर दी गई छूट तुरंत वापस ली जाए, पर्यावरणीय नियमों को मजबूत किया जाए, और खनन माफिया पर कठोर कार्रवाई की जाए। अरावली का संरक्षण केवल पर्यावरण का मुद्दा नहीं, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के अधिकारों की रक्षा का प्रश्न है। खनन गतिविधियों से पक्षियों और अन्य वन्यजीव प्रजातियों का आवास छिन जाता है, जिससे खाद्य श्रृंखला बाधित होती है, अवैध खनन ने मरुस्थलीकरण की गति को तेज कर दिया है, जिससे थार रेगिस्तान की रेत दिल्ली और एनसीआर की ओर खिसक रही है। इससे धूल भरी आंधियां और प्रदूषण बढ़ता है। अवैध खनन से भूजल की कमी हो रही है और जमीन की उर्वरता खत्म हो रही है। अवैध खनन के कारण मानसून पैटर्न में बदलाव आया है, जिससे कहीं सूखा पड़ रहा है तो कहीं बाढ़ आ रही है।


