Thursday, October 23, 2025
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कृषि बीमा योजनाएं किसानों के हित में हो न कि कंपनियों के मुनाफे की योजना:  कुमारी सैलजा

कृषि बीमा योजनाएं किसानों के हित में हो न कि कंपनियों के मुनाफे की योजना:  कुमारी सैलजा

कहा- अधिकारी किसानों के बजाए गैरकानूनी तरीके से बीमा क्षेत्र कंपनियों को पहुंचा रहे है लाभ

Priyanka Thakur

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने राज्य में   फसल बीमा योजना की गंभीर खामियों और किसानों के साथ हो रहे अन्याय पर चिंता व्यक्त करते हुए केंद्र एवं राज्य सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। कुमारी सैलजा ने कहा कि फसल बीमा योजना का मूल उद्देश्य किसानों को प्राकृतिक आपदाओं के समय आर्थिक राहत देना था, लेकिन यह योजना अब बीमा कंपनियों के मुनाफे का जरिया बनकर रह गई है। बीमा के नाम पर घोटाला करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

मीडिया को जारी बयान में कुमरी सैलजा ने कहा है कि  प्रदेश के अलग अलग जिलों में हजारों किसान कई वर्षों से फसल बीमा का क्लेम पाने के लिए भटक रहे हैं। पर उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया जा रहा है। किसान एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय में चक्कर काटने में लगा हुआ है। अधिकारियों और बीमा कंपनियों का गठजोड़ किसानों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। किसानों को परेशान करने वाले ऐसे अधिकारियों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। जब किसान अपनी फसलों का बीमा करवाता है तो कंपनियां न तो समय पर सर्वे कराती हैं और न ही नुकसान के आकलन में पारदर्शिता रखती हैं। अनेक किसानों को तो बीमा क्लेम से संबंधित कोई दस्तावेज ही नहीं दिया जाता, जबकि वाहन बीमा जैसे क्षेत्रों में उपभोक्ता को पूरी बीमा पॉलिसी सौंपी जाती है। यह दोहरी नीति किसानों के साथ अन्याय है। इससे साफ लगता है कि कंपनियों का शुरू से ही दरादा मुनाफा रहा है किसानों के हित से उन्हें कोई लेना देना नहीं है। सांसद ने आरोप लगाया कि बीमा कंपनियां गांव को एक इकाई मानकर पूरे क्षेत्र का नुकसान आंकती हैं। यदि किसी खेत में वास्तविक नुकसान हुआ है लेकिन पूरा गांव घोषित नुकसान की श्रेणी में नहीं आता, तो उस किसान को क्लेम नहीं मिलता। यह व्यवस्था किसान विरोधी है और इसमें तुरंत बदलाव होना चाहिए।

सांसद कुमारी सैलजा ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन के दौर में बाढ़, अतिवृष्टि, ओलावृष्टि जैसी आपदाएं सामान्य हो गई हैं। ऐसे में यदि किसी किसान की फसल नष्ट हो जाए, तो उसे तुरंत मुआवजा मिलना चाहिए ताकि वह अगली फसल की तैयारी कर सके। लेकिन वर्तमान व्यवस्था में 2 से 3 साल की देरी आम बात हो गई है, जिससे किसान कर्ज में डूबता चला जाता है। उन्होंने कहा कि सरकारें केवल प्रीमियम वसूलने तक ही जिम्मेदारी निभाती हैं। लेकिन जब क्लेम देने की बात आती है, तो किसानों को बीमा कंपनियों के रहमोकरम पर छोड़ दिया जाता है। यह स्थिति तुरंत बदली जानी चाहिए। कुमारी सैलजा ने कि कपास उत्पादक क्षेत्रों में खरीफ -23 कपास बीमा क्लेम निर्धारण में कृषि विभाग और सीआईसी कंपनी अधिकारियों की मिलीभगत से भिवानी और चरखी दादरी में 300 करोड़ का बीमा घोटाला हुआ जिसमें आज तक न तो दोषी अधिकारियों को कोई सजा मिली और न ही पीड़ित किसानों को मुआवजा ही मिला।
सांसद कुमारी सैलजा ने सरकार से मांग की है कि किसानों को व्यक्तिगत बीमा पॉलिसी दी जाए, जैसे अन्य बीमा क्षेत्रों में दी जाती है। बीमा सर्वे में पारदर्शिता हो और व्यक्तिगत खेत के नुकसान का आकलन हो। क्लेम की राशि एक तय समयसीमा के भीतर दी जाए  अधिकतम 60 दिनों में। बीमा के नाम पर मुनाफाखोरी कर रही कंपनियों पर निगरानी रखी जाए और लापरवाही पर जुर्माना लगाया जाए। कुमारी सैलजा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसानों की इस पीड़ा को हर स्तर पर उठाएगी और किसानों को उनका हक दिलाने के लिए संघर्ष करेगी।

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