Tuesday, July 1, 2025
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जवानी में बिछड़े प्रेमी जोड़े के 30 साल बाद पुनर्मिलन की रोचक दास्ताँ को दर्शाता है नाटक जहां से चले थे

जवानी में बिछड़े प्रेमी जोड़े के 30 साल बाद पुनर्मिलन की रोचक दास्ताँ को दर्शाता है नाटक जहां से चले थे

चण्डीगढ़ : यूनीक आर्ट्स सोसायटी एवं चण्डीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के सौजन्य से करवाए गए नाटक जहां से चले थे दो प्रेमियों की कहानी है, जो जवानी में आपस में प्रेम तो करते हैं परंतु किसी कारणवश एक दूसरे के साथ शादी नहीं कर पाते। रास्ते अलग हो जाते हैं, मंजिलें बदल जाती हैं। फिर अचानक तीस साल के बाद दोनों की मुलाकात हो जाती है और दोनों पुरानी यादों में खो जाते हैं।

बिंदु बताती है कि उसके पति की मृत्यु हो जाने के बाद कैसे बच्चे अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गए और वह अकेली रह गई। इसी तरह से राहुल भी उसे अपनी पत्नी की मृत्यु के बारे में बताता है और कहता है कि एक बाप दो बेटों को तो पाल सकता है लेकिन दो बेटे एक बाप को नहीं पाल सकते।
नाटक में दिखाया गया कि आज की युवा पीढ़ी कैसे मां-बाप की सेवा करने की बजाए उन्हें नकार रही है। साथ ही यह भी दिखाया गया कि दोनों दोस्त एक बार फिर से कैसे मिल जाते हैं और एक नई शुरुआत करते हैं। मतलब जहां से चले थे वहीं आकर ठहर गए हैं।
मनमोहन गुप्ता मोनी द्वारा लिखे नाटक का निर्देशन किया सोनिका भाटिया और उन्होंने साथ ही मुख्य भूमिका भी निभाई। इसमें उनका साथ दिया सौरभ आचार्य, सौदामिनी और जसवीर जस्सी ने।
मुख्य अतिथि डॉ ज़ोरा सिंह मान, कुलाधिपति, देश भगत यूनिवर्सिटी, विशेष अतिथि डा तजिंदर कौर, प्रो-चांसलर देश भगत यूनिवर्सिटी तथा नाटक के लेखक मनमोहन गुप्ता मोनी भी विशेष तौर पर उपस्थित रहे।

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