पंजाब में पराली जलाने के मामले 50% घटे, इसके बाद दिल्ली के प्रदूषण पर उठा बड़ा सवाल
पंजाब में पराली जलाने के मामलों में इस साल उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) के आंकड़ों के अनुसार, 2024 की तुलना में 2025 में पराली जलाने के मामलों में करीब 50 प्रतिशत की गिरावट आई है। पिछले साल जहां 10,104 मामले रिपोर्ट हुए थे, वहीं इस साल अब तक केवल 5046 मामले दर्ज किए गए हैं।
बीते आठ दिनों के डेटा के अनुसार सिर्फ 384 मामलों की पुष्टि हुई है, जिसमें दैनिक संख्या दोहरे अंक से आगे नहीं बढ़ी। 19 नवंबर को केवल 12 नए मामले सामने आए।
PPCB के वरिष्ठ वातावरण इंजीनियर राजीव गुप्ता ने कहा कि ऐसी कोई वैज्ञानिक स्टडी उपलब्ध नहीं है जो यह साबित करे कि पंजाब में जलाई जा रही पराली का धुआं दिल्ली के प्रदूषण में बड़ी भूमिका निभाता है। इसके साथ ही यह सवाल भी उठने लगा है कि जब पंजाब में पराली प्रबंधन बेहतर हुआ है, तो फिर दिल्ली का AQI लगातार खतरनाक स्तर पर क्यों है?
जिलेवार पराली जलाने के मामले
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संगरूर — 695
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तरनतारन — 693
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फिरोजपुर — 544
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अमृतसर — 315
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बठिंडा — 361
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मानसा — 302
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मुक्तसर — 367
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पटियाला — 235
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लुधियाना — 213
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अन्य जिलों में 17 से 254 मामलों के बीच आंकड़े दर्ज किए गए।
जुर्माना और कार्रवाई
19 नवंबर तक:
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2316 मामलों में कुल ₹1.22 करोड़ का जुर्माना
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₹60.55 लाख की वसूली
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1890 FIR दर्ज
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2138 रेड एंट्रियां की गईं
विशेषज्ञों का कहना है कि पराली के मामलों में भारी कमी से पंजाब के शहरों का AQI स्तर मध्यम श्रेणी में आ चुका है। इसके बावजूद दिल्ली का प्रदूषण अभी भी खतरनाक स्तर पर है, जिससे यह बड़ा सवाल खड़ा होता है कि क्या दिल्ली की हवा खराब होने के लिए पंजाब को लगातार दोष देना सही है?


