प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन देश के हर जिले और ब्लॉक में तेज व समावेशी विकास सुनिश्चित करना- मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी
कोई भी जिला या ब्लॉक विकास के क्षेत्र में पीछे न रहे
प्रधानमंत्री के सपनों और लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने का कर रहे कार्य
सम्पूर्णता अभियान के परिणाम आने लगे सामने
Priyanka Thakur
हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का विजन देश के हर जिले और ब्लॉक में तेज व समावेशी विकास सुनिश्चित करना है। जो एक विशेष मिशन और जन आंदोलन है। यह मिशन हर नागरिक को सशक्त बनाने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि कोई भी जिला या ब्लॉक विकास के क्षेत्र में पिछे न रहे।
मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने यह बात आज हरियाणा निवास चण्डीगढ़ में आयोजित राज्य स्तरीय सम्पूर्णता अभियान सम्मान समारोह में आकांक्षी जिला एवं ब्लॉक कार्यक्रम के दौरान अधिकारियों व कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए कही।
श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में वर्ष 2018 में आकांक्षी जिला एवं ब्लॉक कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी। इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि एवं जल संसाधन, वित्तीय सेवाएं और मूलभूत ढांचा जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना हैं। यह व्यापक दृष्टिकोण है, जिसमें हम सब मिलकर एक मजबूत, समृद्ध और समतापूर्ण भारत का निर्माण कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस अभियान के परिणाम लोगों के सामने आने शुरू हो गए है। नीति आयोग द्वारा दिए गए विभिन्न क्षेत्रों के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सभी को मिलकर शत प्रतिशत कार्य करना है। ताकि इस अभियान के और अच्छे परिणाम जमीन स्तर पर मिल सके। उन्होंने कहा कि नीति आयोग के द्वारा पिछले दिए गए बिंदुओं पर स्वामित्व बनाए रखना जरूरी है। इस अभियान के तहत प्रधानमंत्री के सपनों और लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने का कार्य कर रहे है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आकांक्षी जिला व ब्लॉक कार्यक्रम के तहत नीति आयोग द्वारा दिए गए विभिन्न क्षेत्रों में लक्ष्य को पूरा करने के उपरांत उस कार्य की रिपोर्ट लेकर वेरिफिकेशन करवाई जाए। ताकि कार्यक्रम के तहत धरातल पर हुए कार्य के बारे में पूर्ण और सटीक जानकारी प्राप्त हो सकें।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए इस अभियान के बाद आज मेवात में इसके सकारात्मक परिणाम मिल रहे है। उन्होंने अधिकारियों व कर्मचारियों को यह भी निर्देश दिया कि नीति आयोग द्वारा हर वर्ष जो लक्ष्य इन जिलों के ब्लॉक के लिए दिया जाता है उस लक्ष्य को समय पर शत प्रतिशत हासिल करना है। अच्छे कार्य के लिए उन्होंने अधिकारियों व कर्मचारियों को बधाई भी दी है।
श्री नायब सिंह सैनी ने अधिकारियों को निर्देश देेत हुए कहा कि इन जिलों में किसानों को बागवानी की तरफ बढ़ाया जाए और बागवानी के नए-नए विकल्प दिए जाए। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि सायॅल हेल्थ कार्ड का सरलीकरण कर किसानों को इसकी पूरी जानकारी दी जाए। उन्होंनेे कृषि विभाग के निदेशक को निर्देश दिए कि कृषि विभाग का सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाया जाए। जिसमें प्रगतिशील किसानों या कृषि के क्षेत्र में अच्छा कार्य करने वाले किसानों के साक्षात्कार लेकर उनको सोशल मीडिया पर डालकर अन्य किसानों को जागरूक किया जाए।
इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी ने मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए आकांक्षी जिला एवं ब्लॉक कार्यक्रम की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस पहल की शुरुआत प्रधानमंत्री द्वारा 2018 में पिछड़े और विकसित जिलों के बीच में संतुलित और समावेशी विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई थी। इस कार्यक्रम के तहत, विभिन्न विकासात्मक मानदंडों के आधार पर, देश भर के 800 से अधिक जिलों में से 115 जिलों का चयन किया गया था। इस पहल को और मज़बूत बनाने के लिए, बाद में इस योजना के अंतर्गत आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम शुरू किया गया, जिससे इन क्षेत्रों का समग्र विकास संभव हो सका।
इस दौरान जिला नूंह, चरखी दादरी, भिवानी और रेवाड़ी के जिला उपायुक्तों ने आकांक्षी जिला एवं ब्लॉक कार्यक्रम के तहत किए गए कार्याे की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस दौरान मंख्यमंत्री ने आकांक्षी जिला एवं ब्लॉक कार्यक्रम के तहत उत्कृष्ट कार्य करने वाले 26 अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री सुधीर राजपाल, सूचना जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक श्री के.एम.पांडुरंग सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।
सीआईएसएफ यूनिट लाइन, पंजाब एवं हरियाणा सिविल सचिवालय, चंडीगढ़ में “जवान चौपाल” का उद्घाटन
चंडीगढ़,1 अगस्त- सैनिकों के कल्याण को बढ़ाने और तनावमुक्त पारस्परिक जुड़ाव को बढ़ावा देने की दिशा में एक सराहनीय कदम के रूप में, आज सीआईएसएफ यूनिट लाइन, पंजाब एवं हरियाणा सिविल सचिवालय, चंडीगढ़ में “जवान चौपाल” नामक एक नई पहल का उद्घाटन किया गया।
उद्घाटन समारोह में सभी रैंकों के सीआईएसएफ कर्मियों की सक्रिय भागीदारी देखी गई। उल्लेखनीय है कि उद्घाटन समारोह का रिबन पिछले महीने सेवानिवृत्त हुए कर्मियों द्वारा औपचारिक रूप से काटा गया, जो सेवा की पीढ़ियों के बीच एकता के बंधन का प्रतीक है।
सीआईएसएफ वेट कैंटीन के निकट रणनीतिक रूप से स्थित, जवान चौपाल को एक अनौपचारिक, समुदाय-अनुकूल स्थान के रूप में डिज़ाइन किया गया है जहाँ कर्मी जन्मदिन, अनौपचारिक चर्चा और विश्राम जैसे छोटे समारोहों के लिए एकत्र हो सकते हैं। “चौपाल” की सदियों पुरानी भारतीय परंपरा पर आधारित – एक ग्रामीण बैठक स्थल जो खुले संवाद को बढ़ावा देता है – यह पहल सुरक्षा बलों के भीतर उस भावना को पुनर्जीवित करने का प्रयास करती है।
यूनिट के कई कर्मियों ने जवानों के बीच सौहार्द, तनाव मुक्ति और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में इस तरह के अनौपचारिक आयोजनों के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने बताया कि आज की तेज़-तर्रार, डिजिटल जीवनशैली में, सार्थक मानवीय जुड़ाव अक्सर खो जाता है, जिससे तनाव और अलगाव का स्तर बढ़ जाता है। उन्होंने कहा, “जवान चौपाल न केवल एक सामाजिक केंद्र के रूप में कार्य करेगा, बल्कि सीआईएसएफ के तनाव प्रबंधन कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी होगा।”
यह पहल सीआईएसएफ यूनिट पी एंड एचसीएस चंडीगढ़ के अपने कर्मियों के समग्र कल्याण को सुनिश्चित करने के निरंतर प्रयासों को रेखांकित करती है, चाहे वे ड्यूटी पर हों या ड्यूटी से बाहर।
क्रमांक- 2025
हरियाणा मंत्रिमंडल ने महिला एवं बाल विकास विभाग के ग्रुप बी सेवा नियमों में संशोधन को दी मंज़ूरी
चंडीगढ़, 1 अगस्त – हरियाणा मंत्रिमंडल की आज यहाँ मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई बैठक में हरियाणा महिला एवं बाल विकास विभाग, ग्रुप बी सेवा नियम, 1997 में प्रमुख संशोधनों को मंज़ूरी दी गई, ताकि इन्हें वर्तमान प्रशासनिक और भर्ती आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जा सके। इन संशोधनों में पदों के नामकरण, वेतनमान, शैक्षणिक योग्यता में परिवर्तन तथा विभागीय सेवा नियमों में नवसृजित पदों को शामिल करना सम्मिलित है।
पूर्व सरकारी अधिसूचनाओं के अनुसार, बाल विकास परियोजना अधिकारी (महिला) और कार्यक्रम अधिकारी (महिला) के पदों का आधिकारिक नाम बदलकर क्रमशः महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी (महिला) और जिला कार्यक्रम अधिकारी (महिला) किया गया है। इसे दर्शाने हेतु विभागीय नियमों में आवश्यक संशोधन किए गए हैं।
इसके अतिरिक्त, विभागीय सेवा नियम, 1997 के नियम 14 को हरियाणा सिविल सेवा (दंड एवं अपील) नियम, 1987 के स्थान पर संशोधित 2016 नियमों से प्रतिस्थापित किया गया है।
चरखी दादरी जिले के लिए जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं अधीक्षक, तथा पपलोहा (पिंजौर) स्थित पंजीरी प्लांट के प्रबंधक सहित नवसृजित पदों को भी सेवा नियमों में शामिल किया गया है। इसके अतिरिक्त, मौजूदा नियमों में वेतनमानों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप अद्यतन किया गया है।
भर्ती प्रक्रिया को अधिक सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से, हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) की आपत्तियों के बाद महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी (महिला) पद हेतु 50% कोटे के साथ दो अलग-अलग शैक्षणिक योग्यताओं के प्रावधान को हटा दिया गया है।
इसी प्रकार, उप निदेशक पद पर सीधी भर्ती के लिए यूजीसी-नेट उत्तीर्ण होने की अनिवार्यता को भी समाप्त कर दिया गया है। यह निर्णय एचपीएससी द्वारा योग्यता मानदंडों को संशोधित करने की सिफारिश के अनुरूप लिया गया है। इसके अलावा, सभी पदों के लिए मैट्रिक या उच्च शिक्षा स्तर पर हिंदी या संस्कृत विषय अनिवार्य करने का प्रावधान भी जोड़ा गया है।
हरियाणा कैबिनेट ने हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम, 2014 में संशोधन को दी मंज़ूरी
संशोधित अधिनियम के तहत न्यायिक आयोग को पारदर्शी प्रशासन व विवाद समाधान के लिए सशक्त बनाया गया
Priyanka Thakur
हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में सिख गुरुद्वारों के प्रबंधन से जुड़े कानूनी ढांचे को और अधिक सुदृढ़ करने हेतु हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम, 2014 में संशोधन के प्रस्ताव को मंज़ूरी प्रदान की गई। इन संशोधनों का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना, न्यायिक निगरानी सुनिश्चित करना और गुरुद्वारा संपत्तियों की घोषणा एवं प्रशासन के लिए स्पष्ट संरचना उपलब्ध कराना है।
मुख्य बदलावों में अधिनियम की धारा 17(2)(c) को हटाया गया है, जो पहले गुरुद्वारा समिति को अपने ही सदस्यों को हटाने का अधिकार देती थी। अब यह अधिकार धारा 46 के अंतर्गत गठित न्यायिक आयोग के पास होगा।
इसके अतिरिक्त धारा 44 और 45 को प्रतिस्थापित करते हुए यह प्रावधान किया गया है कि मतदाता पात्रता, अयोग्यता, गुरुद्वारा कर्मचारियों से संबंधित सेवा मामलों और समिति सदस्यों की नियुक्ति से जुड़े विवाद अब विशेष रूप से नवगठित न्यायिक आयोग द्वारा सुलझाए जाएंगे। आयोग के आदेशों के विरुद्ध 90 दिनों के भीतर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है, जिसमें परिसीमा अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे।
इसकी भूमिका को और सुदृढ़ करते हुए, धारा 46 को संशोधित किया गया है ताकि आयोग को गुरुद्वारा संपत्ति, निधि और आंतरिक विवादों से संबंधित विवादों का निपटारा करने का अधिकार मिल सके। आयोग कदाचार के आधार पर समिति के सदस्यों को हटाने या निलंबित करने का अधिकार होगा, और वह गुरुद्वारा संपत्ति या निधि के दुरुपयोग या संभावित क्षति से संबंधित मामलों में स्वतः संज्ञान ले सकता है।
वह ऐसी परिसंपत्तियों की सुरक्षा के लिए अस्थायी निषेधाज्ञा भी जारी कर सकेगा। इसकी विस्तारित भूमिका को समर्थन प्रदान करने के लिए, 46A से 46N तक नई धाराएं जोड़ी गई हैं। ये धाराएं न्यायिक आयोग को धारा 46B के अंतर्गत दीवानी न्यायालय के समतुल्य शक्तियां प्रदान करती हैं, धारा 46C के अंतर्गत ऐसे मामलों में दीवानी न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र पर रोक लगाती हैं और धारा 46D के अंतर्गत सद्भावनापूर्वक किए गए कार्यों के लिए आयोग के सदस्यों को संरक्षण प्रदान करती हैं। आयोग द्वारा पारित आदेश धारा 46G के अंतर्गत दीवानी न्यायालय के आदेशों के रूप में लागू होंगे, और धारा 46F के अंतर्गत इसके सदस्यों को लोक सेवक माना जाएगा।
इसके अतिरिक्त संशोधन में नई जोड़ी गई धाराओं 55 से 55N के अंतर्गत गुरुद्वारों की घोषणा और प्रबंधन के लिए एक व्यापक कानूनी प्रक्रिया का प्रावधान किया गया है। गुरुद्वारों को तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जाएगा—ऐतिहासिक (अनुसूची I), अधिसूचित (अनुसूची II), जिनकी वार्षिक आय 20 लाख रुपये या उससे अधिक हो, और स्थानीय (अनुसूची III)। किसी गुरुद्वारे को सिख गुरुद्वारा घोषित करने के लिए कम से कम 100 सिख श्रद्धालुओं द्वारा याचिका दायर की जा सकती है। ऐसी याचिकाओं पर आपत्तियां किसी भी इच्छुक व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत की जा सकती हैं, जिसमें वंशानुगत पदधारी भी शामिल हैं, और अंतिमकानून गुरुद्वारा संपत्तियों के स्वामित्व और नियंत्रण को भी स्पष्ट करता है। स्वामित्व की धारणाएँ ऐतिहासिक भूमि अभिलेखों, आय उपयोग या रख-रखाव के इतिहास पर आधारित होंगी। आयोग को कब्जे का आदेश देने, राजस्व अभिलेखों में परिवर्तन करने, विभिन्न विवादों को समेकित करने और आवश्यकतानुसार लागत निर्धारण करने का अधिकार है। इसके अलावा, इन मामलों में दीवानी और राजस्व न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र को स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा और किसी भी चल रहे मामले को न्यायिक आयोग को स्थानांतरित कर दिया जाएगा। न्यायिक आयोग के अंतिम निर्णयों के विरुद्ध 90 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष अपील की जा सकेगी।
इन संशोधनों के माध्यम से हरियाणा सरकार का उद्देश्य राज्य में सिख गुरुद्वारों के प्रबंधन हेतु एक पारदर्शी, कुशल एवं कानूनी रूप से सुदृढ़ प्रणाली स्थापित करना है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज यहाँ हुई मंत्रिमंडल की बैठक में एनआईडीए (नाबार्ड अवसंरचना विकास सहायता) योजना के अंतर्गत नाबार्ड से 1,850 करोड़ रुपये के सावधि ऋण के लिए राज्य सरकार की गारंटी बढ़ाने को स्वीकृति प्रदान की गई। यह ऋण हरियाणा अंतर्राष्ट्रीय बागवानी विपणन निगम लिमिटेड (एचआईएचएमसीएल) द्वारा गन्नौर में संचालित भारत अंतर्राष्ट्रीय बागवानी बाज़ार (आईआईएचएम) के विकास में सहायता करेगा।
गन्नौर स्थित आईआईएचएम परियोजना को बागवानी उत्पादों के लिए एक अखिल भारतीय आधुनिक टर्मिनल बाज़ार के रूप में योजनाबद्ध किया गया है और इसे ‘‘राष्ट्रीय महत्व का बाज़ार’’ घोषित किया गया है। लगभग 20 लाख मीट्रिक टन की अनुमानित वार्षिक आवक के साथ, यह बाज़ार न केवल हरियाणा, बल्कि कई पड़ोसी राज्यों की ज़रूरतों को भी पूरा करेगा, जिससे फलों, सब्जियों, फूलों, डेयरी, मुर्गी पालन और मत्स्य पालन में लगे किसानों के लिए आय के अवसरों में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
परियोजना की कुल अनुमानित लागत 3,050 करोड़ रुपये है। राज्य सरकार द्वारा इक्विटी के रूप में 800 करोड़ रुपये का योगदान दिया जा रहा है और आरआईडीएफ योजना के तहत नाबार्ड से 400 करोड़ रुपये ऋण के रूप में प्राप्त किए गए हैं, शेष 1,850 करोड़ रुपये अब एनआईडीए योजना के तहत नाबार्ड से सावधि ऋण के माध्यम से वित्त पोषित किए जाएंगे।
गन्नौर स्थित आईआईएचएम, जिसे जून 2026 तक पूरा किया जाना है, एकीकृत बागवानी विपणन के लिए एक मॉडल के रूप में काम करेगा, जो उत्पादकों, व्यापारियों, निर्यातकों और प्रसंस्करणकर्ताओं के लिए एक विश्व स्तरीय पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान कर हरियाणा को बागवानी व्यापार के लिए एक राष्ट्रीय केंद्र के रूप में स्थापित करेगा।
क्रमांक-2025
चंडीगढ़, 1 अगस्त: हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में राजस्व रास्तों से संबंधित सुख – सुविधा अधिकार (इज़मेंट राइट्स) प्रदान करने हेतु एक नई नीति को मंजूरी दी गई।
यह नीति उस मुद्दे पर विचार करती है जहाँ सार्वजनिक भूमि, जो राजस्व रास्ता है और जिसका सक्रिय उपयोग हो रहा है तथा जिसे निजी संपत्ति स्वामियों को नहीं बेचा जा सकता, एक ही स्वामित्व के अंतर्गत एक भूखंड को विभाजित करती है। यह नीति भूखंडों के बीच सेवाओं तक पहुँचने और उन्हें जारी रखने के लिए सुख – सुविधा की अनुमति देती है, जिससे एक ही स्वामित्व के अंतर्गत आने वाले भूखंडों का इष्टतम उपयोग संभव हो सके, साथ ही यह सुनिश्चित किया जा सके कि राजस्व रास्तों के उपयोग में कोई बाधा या प्रतिबंध न हो।
यह नीति 6 करम (10 मीटर) तक की चौड़ाई वाले राजस्व रास्तों पर केवल तभी लागू होगी जब राजस्व रास्ता निष्क्रिय न हो, आवेदक की भूमि पर समाप्त न होता हो और 25 नवंबर, 2021 को अधिसूचित “राज्य के सभी सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों, पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों के लिए भूमि के बाजार मूल्य निर्धारण की नीति” के अंतर्गत आवेदक को वह भूमि बेची न जा सके।
यह नीति उन निजी संपत्ति स्वामियों को, जिनकी भूमि राजस्व रास्तों में विभाजित हो गई है, संबंधित नगरपालिका से भूमि पट्टे पर लेकर पहुँच और सीवरेज, जलापूर्ति, बिजली लाइनों, गैस पाइपलाइनों जैसी सेवाओं के लिए विभाजित भूमि खंडों को जोड़ने हेतु नलिकाओं, सब-वे या पुलों के निर्माण की अनुमति के लिए आवेदन करने की सुविधा देती है।
कृषि कलेक्टर दर के 5 प्रतिशत प्रति वर्ग मीटर की दर से रास्ता शुल्क प्रति वर्ष लिया जाएगा, जो राजस्व रास्ते के मार्गाधिकार के अंतर्गत या उससे ऊपर के कुल क्षेत्रफल पर लागू होगा। यह शुल्क आवेदक को प्रत्येक पाँच वर्ष में जमा करना होगा, अन्यथा उसे 15 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित शुल्क का भुगतान करना होगा। 25 वर्षों के बाद अनुमति को पुनः मान्य किया जाएगा, जिसमें संरचना का संरचनात्मक सुरक्षा प्रमाणपत्र एवं लागू सुख – सुविधा शुल्क जमा करना आवश्यक होगा।
हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा विधानसभा (सदस्यों को चिकित्सा सुविधाएं) नियम, 1988 में संशोधन को मंजूरी दी।
संशोधन के अनुसार, 60 वर्ष से अधिक आयु के पेंशनर्स को 10 हजार रुपये प्रतिमाह की दर से चिकित्सा भत्ता देने का प्रावधान किया गया है।
संशोधन का उद्देश्य वर्तमान में विधानसभा के प्रत्येक सदस्य को स्वयं तथा अपने परिवार के सदस्यों के लिए स्वीकार्य चिकित्सा सुविधाओं का लाभ पारिवारिक पेंशन प्राप्तकर्ताओं को भी प्रदान करना है।
क्रमांक-2025
हरियाणा मंत्रिमंडल ने केंद्रीय दिशा निर्देशों के अनुरूप जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण के नए नियमों को दी मंजूरी
हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण नियम, 2025 को मंजूरी दी गई। ये नियम राज्य की पंजीकरण प्रणाली को नवीनतम राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लाने के लिए भारत के महापंजीयक से प्राप्त मॉडल के अनुसार तैयार किए गए हैं।
नए नियम भारत के महापंजीयक द्वारा जारी केंद्रीय आदर्श जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) नियम, 2024 पर आधारित हैं। इसके अनुसार, मौजूदा हरियाणा जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण नियम, 1972 के कई प्रावधानों में संशोधन किया गया है।
इन नए नियमों को अपनाने से राज्य में जन्म और मृत्यु की पंजीकरण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने, रिकॉर्ड रखने में सुधार करने तथा राष्ट्रीय नीतियों और डिजिटल ढांचे के साथ संरेखण सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक आज मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आयोजित की गई, जिसमें हरियाणा पिछड़ा वर्ग एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग कल्याण निगम को नेशनल माइनॉरिटीज डेवलपमेंट एंड फाइनेंस कॉरपोरेशन (NMDFC) से ऋण प्राप्त करने हेतु दी जाने वाली राज्य सरकार की गारंटी की सीमा को 25 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 35 करोड़ रुपये किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई।
हरियाणा पिछड़ा वर्ग एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग कल्याण निगम को वर्ष 2024-25 के लिए लंबित अल्पसंख्यक समुदाय के 979 लाभार्थियों को कवर करना शेष है। वहीं चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 3000 लाभार्थियों को कवर करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम (एनएमडीएफसी) से ऋण लेने हेतु राज्य सरकार की गारंटी सीमा 25 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 35 करोड़ रुपये की गई है।
यह निगम 10 दिसंबर, 1980 को कंपनी अधिनियम 1956 के अंतर्गत गठित किया गया था, जिसका उद्देश्य राज्य में पिछड़े वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों का सामाजिक और आर्थिक उत्थान करना है। भारत सरकार द्वारा वर्ष 1995 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम की स्थापना की गई थी, ताकि अल्पसंख्यक समुदायों के पिछड़े वर्गों के आर्थिक और विकासात्मक हितों को बढ़ावा दिया जा सके। हरियाणा सरकार ने इस निगम को नेशनल माइनॉरिटीज डेवलपमेंट एंड फाइनेंस कॉरपोरेशन से निधियों के आवंटन के लिए राज्य स्तरीय चैनलाइजिंग एजेंसी के रूप में नामित किया है।
राज्य सरकार द्वारा वर्ष 1995 में प्रारंभ में 5 रुपये करोड़ की गारंटी दी गई थी, जिसे क्रमशः 23 अप्रैल 2001 को 10 करोड़ रुपये, 27 फरवरी 2006 को 15 करोड़ रुपये, 7 जनवरी 2008 को 20 करोड़ रुपये और 30 मई 2022 को 25 करोड़ रुपये तक बढ़ाया गया।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम राज्य की चैनलाइजिंग एजेंसी को 3% वार्षिक ब्याज दर पर रियायती दरों पर ऋण प्रदान करता है। ये ऋण विशेष योजनाओं और प्रस्तावों के आधार पर दिए जाते हैं, जिनमें शर्त होती है कि राज्य सरकार निगम की ओर से राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम को टर्म लोन की गारंटी प्रदान करेगी। निगम अंतिम लाभार्थियों से 6% वार्षिक ब्याज दर पर ऋण वसूल करता है। अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित वे व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय गरीबी रेखा से दोहरी से कम है, वे इस योजना के अंतर्गत ऋण के लिए पात्र हैं।
वर्ष 1995 से अब तक निगम ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम से 88.77 करोड़ रुपये का ऋण प्राप्त किया है और 31 मार्च, 2025 तक राज्य के कुल 15,111 अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को स्वरोजगार उपलब्ध करवाया है।
हरियाणा मंत्रिमंडल ने अनुसूचित जाति की मृतक महिला के आश्रित को अनुकंपा आधार पर नियुक्ति को दी मंजूरी
हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज यहाँ हुई मंत्रिमंडल की बैठक में सत्र न्यायालय, रोहतक द्वारा जारी निर्देशों के अनुपालन में, अनुसूचित जाति की एक मृतक महिला के आश्रित पुत्र को अनुकंपा आधार पर नियुक्ति प्रदान करने को घटनोत्तर स्वीकृति प्रदान की गई।
यह मामला अनुसूचित जाति की महिला श्रीमती मुकेश देवी से संबंधित है जो गाँव लिजावाना, तहसील जुलाना, जिला जींद की निवासी थी। एक दुखद घटना में उसकी हत्या कर दी गई और उसका जला हुआ शव रोहतक जिले के जसिया गाँव के पास बरामद हुआ। घटना के बाद, 2016 में भारतीय दंड संहिता और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
रोहतक स्थित सत्र न्यायालय ने अपने निर्णय में राज्य सरकार को मृतक के दो आश्रितों को स्वीकार्य महंगाई भत्ते के साथ 5,000 रुपये की मूल मासिक पेंशन प्रदान करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि मृतक के परिवार के एक सदस्य को राज्य सरकार द्वारा रोजगार दिया जाए।
न्यायालय के आदेशों की अनुपालना में इसे एक विशेष केस मानते हुए, मृतक के पुत्र राजू, जिसने अपनी 12वीं कक्षा की शिक्षा और कंप्यूटर शिक्षा प्रोग्राम पूरा कर लिया है, को 2 मई, 2025 को सेवा विभाग, हरियाणा में उपलब्ध क्लर्क के पद पर अनुकंपा नियुक्ति दी गई है।
हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड (HSAMB) के आवंटियों को बड़ी राहत देते हुए हरियाणा सरकार ने निर्णय लिया है कि जिन मामलों में नो ड्यूज सर्टिफिकेट (NDC) पहले ही जारी किए जा चुके हैं या कन्वेयंस डीड निष्पादित हो चुके हैं, और पीपीएम सॉफ्टवेयर में बकाया राशि दिखाई दे रही है, उनमें केवल एनडीसी जारी होने या कन्वेयंस डीड निष्पादित होने की तिथि तक बकाया मूल राशि ही वसूली जाएगी। ऐसे मामलों में ब्याज और दंडात्मक ब्याज माफ कर दिया जाएगा।
इस आशय का निर्णय आज यहाँ मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आयोजित राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।
मंत्रिमंडल के निर्णय के अनुसार, आवंटियों को बकाया मूल राशि जमा करने के लिए अधिसूचना की तिथि से एक महीने का समय दिया जाएगा। निर्धारित समय के भीतर राशि जमा न करने पर विपणन बोर्ड लागू नियमों के अनुसार उचित कार्रवाई करने का हकदार होगा, जिसमें एनडीसी /एनओसी रद्द करना भी शामिल है।
पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, यह नीति सभी समान मामलों पर समान रूप से लागू होगी। जिन आवंटियों ने पहले ही किसी पूर्व निपटान योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त कर लिया है, वे अपात्र होंगे।
– मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज यहां हुई हरियाणा कैबिनेट की बैठक में पंचकूला स्थित एग्रो-मॉल के अलॉटियों की शिकायतों के निवारण से संबंधित एक प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई।
इस निर्णय के तहत, अब अलॉटियों को निर्धारित समय पर कब्ज़ा न मिलने की स्थिति में भुगतान की गई राशि पर 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से मुआवजा दिया जाएगा। साथ ही, कब्जा प्रदान करने की तिथि से लेकर वास्तविक भुगतान की प्राप्ति तक देय राशि की गणना “विवादों का समाधान-II” नीति के प्रावधानों के अनुसार की जाएगी।
जो अलॉटी अपनी आवंटित साइट को रखना नहीं चाहते, उन्हें उनकी जमा राशि पर 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित रिफंड देने का प्रावधान किया गया है, जिसकी गणना जमा की गई राशि की तिथि से भुगतान की तिथि तक की जाएगी।
यह निर्णय इस पृष्ठभूमि में लिया गया है कि आवंटित दुकानों/स्पेस में गतिविधियां संचालित नहीं हो रही हैं और विभिन्न मंचों द्वारा जमा राशि की वापसी एवं ब्याज को लेकर निर्णय दिए गए हैं। साथ ही लंबित मुकदमों को ध्यान में रखते हुए, यह प्रस्ताव किया गया है कि अलॉटियों के विरुद्ध बकाया राशि की समस्या का स्थायी समाधान किया जाए।
उल्लेखनीय है कि हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड (HSAMB) द्वारा अनाज मंडी, सेक्टर-20, पंचकूला में लगभग 2.65 एकड़ (10715.44 वर्ग मीटर) प्राइम भूमि पर एग्रो-मॉल का निर्माण किया गया है। इस मॉल का कुल निर्मित क्षेत्रफल 27686 वर्ग मीटर है। यह एक चार मंज़िला (2 बेसमेंट + ग्राउंड + 3 फ़्लोर) इमारत है। इसमें कुल 136 दुकानें/दफ्तर (ग्राउंड और तीसरी मंजिल पर) स्थित हैं, जबकि पहली और दूसरी मंजिल पर खाली तल हैं।
हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज हुई मंत्रिमंडल की बैठक में क्षेत्रीय हवाई संपर्क और संबद्ध विमानन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए राज्य भर के सभी हवाई अड्डों पर बेचे जाने वाले एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) पर 1 प्रतिशत की रियायती मूल्य वर्धित कर (वैट) दर निर्धारित करने को मंजूरी दी गई है। यह दर पहले 20 प्रतिशत थी। संशोधित अधिसूचना नागरिक उड्डयन मंत्रालय की उड़ान योजना और 2017 में हस्ताक्षरित त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) के अनुरूप है।
नवीनतम संशोधन के अनुसार, 1% की रियायती वैट दर अब सभी यात्री उड़ानों, जिनमें आरसीएस-उड़ान योजना के तहत उड़ानें, रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) गतिविधियाँ, और हरियाणा के सभी हवाई अड्डों पर हवाई साहसिक सेवाएँ शामिल हैं, को बेचे जाने वाले एटीएफ पर लागू रहेगी।
चूंकि प्रस्तावित संशोधन उक्त श्रेणियों की उड़ानों और गतिविधियों के लिए बेचे जाने वाले एटीएफ पर वैट की दर से संबंधित है, इसलिए यह अधिसूचना की तिथि से 6 जुलाई, 2027 तक, समझौता ज्ञापन की अवधि के साथ लागू रहेगा।
हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज यहाँ हुई मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा संविदा कर्मचारी (सेवा सुरक्षा) नियम, 2025 को मंज़ूरी दी गई।
मंत्रिमंडल ने हरियाणा संविदा कर्मचारी (सेवा सुरक्षा) अधिनियम, 2024 (2024 का 17) की धारा 2 के खंड (ग) के अंतर्गत दंड प्राधिकारी और अपील प्राधिकारी नामित करने हेतु मसौदा अधिसूचना को भी मंज़ूरी दी। ग्रुप ‘बी’ के पदों के लिए, हरियाणा सिविल सेवा (दंड एवं अपील) नियम, 2016 के तहत परिभाषित छोटे और बड़े दोनों प्रकार के दंडों से संबंधित मामलों में, “गवर्नमेंट ऑर्गेनाइजेशन का हैड” दंड लगाने के लिए सक्षम प्राधिकारी होगा, जबकि प्रशासनिक सचिव अपीलीय प्राधिकारी के रूप में कार्य करेगा।
ग्रुप सी और डी पदों के लिए, हरियाणा सिविल सेवा (दंड एवं अपील) नियम, 2016 में निर्धारित लघु दंड के मामलों में, “गवर्नमेंट ऑर्गेनाइजेशन का हैड” दंड लगाने के लिए सक्षम प्राधिकारी होगा और अपीलीय प्राधिकारी के रूप में भी कार्य करेगा। समान नियमों में निर्धारित प्रमुख दंड के मामलों में, “गवर्नमेंट ऑर्गेनाइजेशन का हैड” दंड लगाने के लिए सक्षम प्राधिकारी होगा, और प्रशासनिक सचिव अपीलीय प्राधिकारी होगा।
मंत्रिमंडल ने नियुक्ति प्राधिकारी को नामित करने के लिए हरियाणा संविदा कर्मचारी (सेवा सुरक्षा) अधिनियम, 2024 (अधिनियम संख्या 17, 2024) की धारा 2 के खंड (ख) के अंतर्गत अधिसूचना के प्रारूप को भी मंजूरी दी। तदनुसार, उक्त खंड के प्रयोजनों के लिए “गवर्नमेंट ऑर्गेनाइजेशन का हैड” को उपयुक्त प्राधिकारी के रूप में अधिसूचित किया गया है।
-हरियाणा मंत्रिमंडल ने अंतर-राज्यीय पारगमन पास (आईएसटीपी) ढांचे के कार्यान्वयन हेतु खनिज खनन नियमों में संशोधन को मंज़ूरी दी
राज्य में आने वाले खनिज से भरे वाहनों पर 80 रुपये प्रति मीट्रिक टन आईएसटीपी शुल्क लगेगा
चंडीगढ़, 1 अगस्त- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज हुई मंत्रिमंडल की बैठक में अंतर-राज्यीय पारगमन पास (आईएसटीपी) ढांचे के कार्यान्वयन हेतु अध्याय 15 में नियम 98ए के उप-नियम 14 में संशोधन को मंजूरी दी गई। इसके अलावा , “हरियाणा माइनर मिनरल कन्सेशन , स्टॉकिंग , ट्रांसपोर्टेशन ऑफ़ मिनरल्स एंड प्रिवेंशन ऑफ़ इल्लीगल माइनिंग रूल्स ,2012” के रूल्स 9(5) एंड 10(3) के अंतर्गत रॉयल्टी दरों के संशोधन को मंज़ूरी दी गई।
इन नियमों को हरियाणा लघु खनिज रियायत, भण्डारण, खनिजों का परिवहन एवं अवैध खनन निवारण नियम (संशोधन) नियम, 2025 कहा जायेगा।
नियम 98ए के उप-नियम 14 में संशोधन के पश्चात, हरियाणा के भीतर आने वाले सभी खनिज से लदे वाहनों और राज्य के बाहर के स्थानों पर खनिजों का परिवहन करने वाले वाहनों पर अब 80 रुपये प्रति मीट्रिक टन शुल्क लगेगा।
इसी प्रकार, पत्थर और बोल्डर पर रॉयल्टी लगाने से संबंधित प्रथम अनुसूची के नियम में संशोधन के पश्चात इनकी रॉयल्टी की दर 80 रुपये प्रति मीट्रिक टन होगी।
इसके अलावा, मंत्रिमंडल ने प्रथम अनुसूची में खंड 17 को हटाने की भी मंजूरी दे दी है, अर्थात, मुख्य खनिज के पट्टाधारकों को संबद्ध लघु खनिज के लिए आवेदन पर नियम 10 के तहत दिए गए खनन पट्टे के मामले में, उक्त लघु खनिज के लिए रॉयल्टी की दर ऊपर दिए गए कॉलमों में निर्धारित खनिज के लिए लागू दरों के अतिरिक्त 25 प्रतिशत होगी।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता अवैध खनन को रोकना और अच्छे ढंग से खनिज परिवहन की निगरानी सुनिश्चित करना है। हरियाणा की भौगोलिक स्थिति और छह पड़ोसी राज्यों से आने वाले खनिज यातायात को देखते हुए, आईएसटीपी का कार्यान्वयन महत्वपूर्ण है। आईएसटीपी शुल्क से प्राप्त धनराशि का उपयोग बुनियादी ढाँचे जैसे चेक पोस्ट और गेट, निगरानी वाले कैमरे और एआई-आधारित ट्रैकिंग, क्यूआर-कोड सक्षम ई-चालान प्रणाली, मुख्य सड़कों की निगरानी के लिए अन्य तकनीकें और खनन क्षेत्रों से खनन सामग्री के परिवहन की दक्षता बढ़ाने के लिए रसद सहायता में सुधार के लिए किया जाएगा। इसके अलावा, एमएमडीआर अधिनियम की धारा 15 और 23सी राज्य को ऐसे नियामक शुल्क लगाने का अधिकार देती है।
पीएमडीए द्वारा पार्कों का सौंदर्यीकरण, सड़कों की विशेष मरम्म्त व एसटीपीडब्ल्यूटीपी के संचालन पर फोकस – सीईओ श्री के मकरंद पांडुरंग
महानगर विकास प्राधिकरण (पीएमडीए) पंचकूला की जनता को विभिन्न प्रकार की सुविधाएं देने के लिए लगातार कार्य कर रहा है। विभिन्न प्रकार की सुविधाओं के लिए जैसे कि सैक्टरों की डिवाडिंग रोड का रख-रखाव, प्रमुख पार्कों का सौंदर्यीकरण, ग्रीनबेल्ट का रखरखाव, शहर में सड़कों की विशेष मरम्मत, बरसाती नालों की सफाई, हरित पट्टियों व पार्कों के रखरखाव, एसटीपीडब्ल्यूटीपी के संचालन जैसे कार्य नियमित रूप से किए जा रहे हैं।
पीएमडीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री के मकरंद पांडुरंग ने जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी द्वारा पीएमडीए पंचकूला को न केवल स्वच्छता में अग्रणी बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है, बल्कि एक आधुनिक और सुसज्जित शहरी केंद्र के रूप में विकसित करने का संकल्प भी साकार कर रहा है।