चंडीगढ़, 28 सितंबर:
पंजाब सरकार ने पराली जलाने की समस्या से निपटने और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने के लिए फसली अवशेष प्रबंधन (सी.आर.एम.) पर व्यापक सूचना, शिक्षा और संचार (आई.ई.सी.) योजना शुरू की है। यह घोषणा पंजाब के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री स. गुरमीत सिंह खुड्डियां ने की।
मंत्री ने बताया कि इस अभियान का उद्देश्य किसानों, विद्यार्थियों और ग्रामीण समुदायों को सीधे जोड़कर पराली जलाने के हानिकारक प्रभावों और टिकाऊ कृषि के लाभों के बारे में जागरूक करना है।
🚜 योजना के प्रमुख बिंदु:
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50 प्रचार वैनें ग्रामीण क्षेत्रों में संदेश फैलाएँगी।
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444 नुक्कड़ नाटक आयोजित होंगे।
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12,500 दीवार चित्रों के जरिए पराली जलाने के दुष्परिणाम समझाए जाएंगे।
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3,333 गाँव-स्तरीय शिविर और 296 ब्लॉक-स्तरीय शिविर लगाए जाएंगे।
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148 आशा वर्कर घर-घर जाकर अभियान चलाएँगी।
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स्कूलों में निबंध, पेंटिंग और वाद-विवाद प्रतियोगिताएँ आयोजित होंगी।
स. खुड्डियां ने कहा,
“हमारी मिट्टी और लोगों का स्वास्थ्य हमारी प्राथमिकता है। इस बार हम केवल मशीनें देने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि किसानों के दिलों और दिमागों को जीतने पर भी फोकस कर रहे हैं। यह पराली जलाने के खिलाफ एक जन-आंदोलन है।”
कृषि विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. बसंत गर्ग ने बताया कि 2018-19 से अब तक राज्य के किसानों को 1.58 लाख सी.आर.एम. मशीनें दी जा चुकी हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार सामुदायिक भागीदारी और मशीनरी के चलते पराली जलाने के मामलों में भारी कमी आएगी।