चंडीगढ़, 12 नवंबर:Saurabh Manchanda
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने बाढ़ प्रभावित परिवारों को राहत पहुंचाने के लिए “मिशन चढ़दी कला” के तीसरे चरण की राहत वितरण प्रक्रिया को पूरी गति से जारी रखा है। सरकार ने अब तक राज्य के 1143 गांवों में घरों, पशुओं और फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवज़ा वितरित किया है।
पिछले दो दिनों में 35 करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजी गई है। यह राहत वितरण कार्य अमृतसर, फाज़िल्का, फिरोज़पुर, गुरदासपुर, जालंधर, कपूरथला, होशियारपुर, मानसा, संगरूर और एस.बी.एस. नगर सहित लगभग 70 स्थानों पर आयोजित किया गया।
सरकारी प्रवक्ता ने जानकारी दी कि फिरोज़पुर ज़िले में विधायक रणबीर सिंह भुल्लर, रजनीश दहिया, नरेश कटारिया और फौजा सिंह सरारी की मौजूदगी में लगभग 3,000 किसानों को 16.68 करोड़ रुपये से अधिक का मुआवज़ा वितरित किया गया।
इसी तरह डेरा बाबा नानक क्षेत्र में विधायक गुरदीप सिंह रंधावा ने गांव शाहपुर गोराइया, भगताना तुलियां, अगवान, शकरी और मछराला के 935 बाढ़ प्रभावित परिवारों को 3.71 करोड़ रुपये की सहायता राशि प्रदान की।
श्री मुक्तसर साहिब ज़िले में विधायक जगदीप सिंह काका बराड़ ने गांव थांदेवाला में आयोजित कार्यक्रम में 270 लाभार्थियों को मंज़ूरी पत्र वितरित किए। वहीं सुल्तानपुर लोधी क्षेत्र के गांव आलम खानवाला, शेरपुर डोगरा और पस्सन कदीम में भी मुआवज़ा बांटा गया।
अमृतसर ज़िले की लोपोके उपमंडल में एस.डी.एम. संजीव शर्मा ने गांव तूत, मोतला, जय राम कोट और भग्गूपुर बेट के परिवारों को लगभग 26 लाख रुपये की राहत राशि मंज़ूर की, जिसे सीधे लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर किया जाएगा।
प्रवक्ता ने बताया कि पंजाब सरकार देश की पहली ऐसी सरकार है, जिसने बाढ़ प्रभावित परिवारों को सबसे अधिक मुआवज़ा प्रदान किया है। क्षतिग्रस्त घरों के लिए सहायता राशि 6,500 रुपये से बढ़ाकर 40,000 रुपये प्रति घर की गई है, जबकि फसल नुकसान के लिए किसानों को 20,000 रुपये प्रति एकड़ का मुआवज़ा दिया जा रहा है — जो अब तक देश में सबसे अधिक है।
इसके अतिरिक्त, पशु नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने प्रति दुधारू पशु 37,500 रुपये, गैर-दुधारू पशु के लिए 32,000 रुपये, प्रति बछड़ा 20,000 रुपये, और प्रति पोल्ट्री पक्षी 100 रुपये का मुआवज़ा देने की घोषणा की है।
सरकार ने “जिसदा खेत, उसदी रेत” जैसी प्रगतिशील पहल के माध्यम से किसानों को अपने खेतों से रेत निकालने का अधिकार देकर उनकी भूमि पुनः बहाल करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है।


