गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 350वें शहीदी दिवस को समर्पित पंजाब विधान सभा का विशेष सत्र आज आनंदपुर साहिब में आयोजित हुआ।
इस ऐतिहासिक बैठक में शिक्षा, सूचना एवं लोक संपर्क मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने नौवें पातशाह की अनुपम शहादत और सर्वोच्च बलिदान को नमन करते हुए आधिकारिक प्रस्ताव सदन के समक्ष रखा।
यह प्रस्ताव पंजाब विधान सभा द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गया। सदन को संबोधित करते हुए बैंस ने भाई मती दास, भाई सती दास और भाई दयाला की शहादत का भी स्मरण किया। उन्होंने कहा कि गुरु साहिब की शहादत ने देश में धार्मिक स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्षता की मजबूत नींव रखी, जो विश्व इतिहास में अद्वितीय है।
हरजोत सिंह बैंस ने जोर देकर कहा कि नौवें पातशाह की शहादत केवल सिख इतिहास ही नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि यदि गुरु तेग बहादुर साहिब जी ने अत्याचारों का सामना करते हुए धर्म की रक्षा न की होती, तो भारत का धार्मिक स्वरूप आज बेहद अलग होता। उन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपना जीवन कुर्बान किया, जो मानव अधिकारों की सर्वोच्च मिसाल है।
आनंदपुर साहिब से विधायक बैंस ने इस पवित्र भूमि के ऐतिहासिक महत्व का उल्लेख करते हुए बताया कि यही वह स्थान है जिसे गुरु तेग बहादुर साहिब जी ने बसाया था और जहां से वे अपनी अंतिम यात्रा पर दिल्ली के लिए रवाना हुए। उन्होंने याद दिलाया कि भाई जैता (बाबा जीवन सिंह) यहीं गुरु साहिब का ‘शीश’ सम्मानपूर्वक लेकर आए थे, जिसके बाद गुरु गोबिंद सिंह जी ने उन्हें ‘रंगरेटे गुरु के बेटे’ कहकर सम्मानित किया था।
इस अवसर पर बैंस ने 350वें शहीदी दिवस को समर्पित सरकार द्वारा आयोजित समारोहों का विवरण भी साझा किया। कार्यक्रमों में विशेष विधानसभा सत्र, चार नगर कीर्तन, सरब धर्म सम्मेलन, लाइट एंड साउंड शो, ड्रोन शो और शैक्षिक गतिविधियों सहित कई आयोजन शामिल हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए तीन टेंट सिटीज़, पार्किंग व्यवस्था, मोबाइल एप और पर्यावरण-अनुकूल शटल सेवाएँ भी उपलब्ध कराई गई हैं।
बैंस ने कहा कि गुरु तेग बहादुर साहिब जी की शहादत वीरता, दया और सत्य के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उनकी शिक्षाएँ आज भी समाज को शांति, सद्भाव और मानवता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।
अंत में उन्होंने जोर देते हुए कहा कि नौवें पातशाह का शहीदी दिवस राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाना चाहिए, ताकि उनके बलिदान और संदेश को पूरे देश में सम्मान मिल सके।


