चंडीगढ़:
पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान मनरेगा एक्ट को समाप्त कर लाए गए नए कानून के खिलाफ पेश प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए कैबिनेट मंत्री हरभजन सिंह ई.टी.ओ. ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि मनरेगा योजना को खत्म करना गरीबों, मजदूरों और दलित वर्ग को रोटी से वंचित करने की एक सोची-समझी साज़िश है।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार संघवाद के मूल सिद्धांतों के विपरीत चलते हुए राज्यों के अधिकारों को लगातार कमजोर कर रही है। उन्होंने बीबीएमबी, पंजाब यूनिवर्सिटी और चंडीगढ़ से जुड़े मामलों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह सभी घटनाक्रम राज्यों की स्वायत्तता पर सीधा हमला हैं।
हरभजन सिंह ई.टी.ओ. ने कहा कि 73वें संविधान संशोधन के तहत पंचायतों को 29 अधिकार दिए गए थे, जिससे गांवों को अपनी जरूरतों के अनुसार विकास कार्य करने की स्वतंत्रता मिली। मनरेगा इसी सोच का विस्तार था, जो मांग आधारित रोजगार सुनिश्चित करता था। लेकिन नए कानून से पंचायतों के अधिकार सीमित हो जाएंगे और ‘राइट टू वर्क’ यानी काम के अधिकार को लागू करना कठिन हो जाएगा।
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार अप्रत्यक्ष रूप से 1935 के गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट की तर्ज पर टकराव वाला संघवाद लागू करने की दिशा में बढ़ रही है, जबकि संविधान निर्माता डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने सहकारी संघवाद की अवधारणा को अपनाया था।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि नया कानून दलित विरोधी है, क्योंकि मनरेगा के तहत कार्य करने वाले लगभग 73 प्रतिशत श्रमिक दलित समुदाय से आते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि पंजाब सरकार गरीबों और मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेगी।


