नई दिल्ली/अमृतसर, 9 सितंबर:
भारत सरकार ने आज एक बड़ा मानवीय फैसला लिया है। केंद्र ने घोषणा की है कि लगभग 70 पाकिस्तानी कैदियों को भारत की विभिन्न जेलों से रिहा कर अटारी सीमा के रास्ते पाकिस्तान भेजा जाएगा। इनमें महिलाएं और बुजुर्ग कैदी भी शामिल हैं।
पाकिस्तान से बिगड़े रिश्ते और ‘ऑपरेशन सिंदूर’
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब कुछ समय पहले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने निर्दोष भारतीय नागरिकों की हत्या की थी। इस नृशंस घटना के बाद भारत ने पाकिस्तान से कूटनीतिक और राजनीतिक संबंध तोड़ने का ऐलान कर दिया था। इसके बाद भारतीय सुरक्षा बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर पाकिस्तान को करारा जवाब दिया।
हालांकि भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि कैदियों की रिहाई किसी राजनीतिक दबाव का नतीजा नहीं है, बल्कि यह एक मानवीय पहल है। सरकार ने कहा कि जो कैदी सिर्फ सीमा पार करने या वीजा उल्लंघन जैसे छोटे अपराधों में पकड़े गए हैं, उन्हें जेलों में लंबे समय तक रखने का कोई औचित्य नहीं है।
किन मामलों में पकड़े गए थे कैदी?
रिहा किए जा रहे इन पाकिस्तानी नागरिकों में ज्यादातर पर निम्न आरोप थे:
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गैर-कानूनी तरीके से भारतीय सीमा में दाखिल होना
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वीजा नियमों का उल्लंघन
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मछली पकड़ते हुए भारतीय जलक्षेत्र में आ जाना
इनमें से कई कैदी पिछले लंबे समय से भारत की अलग-अलग जेलों में सजा काट रहे थे। कुछ मामलों में इन पर कोई गंभीर आरोप भी साबित नहीं हुए थे।
अटारी सीमा पर होगी सुपुर्दगी
सूत्रों के अनुसार, आज इन कैदियों को अमृतसर स्थित अटारी-वाघा बॉर्डर पर पाकिस्तानी रेंजर्स के हवाले किया जाएगा। इस प्रक्रिया में भारत की सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां मौजूद रहेंगी। कैदियों की पहचान, मेडिकल जांच और कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही उन्हें पाकिस्तान सौंपा जाएगा।
भारत का मानवीय दृष्टिकोण
भारत सरकार ने साफ कहा है कि यह कदम मानवीय दृष्टिकोण से उठाया गया है। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि “निर्दोष लोग जो गलती से सीमा पार आ गए, या मामूली मामलों में पकड़े गए, उन्हें जेलों में रखना हमारी परंपरा और मानवीय मूल्यों के अनुरूप नहीं है। इसलिए उन्हें रिहा कर उनके देश वापस भेजा जा रहा है।”
भविष्य के लिए संदेश
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला भारत की उदार और संवेदनशील छवि को मजबूत करता है। भले ही पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद और घुसपैठ जैसी गतिविधियां जारी हैं, लेकिन भारत ने कैदियों को रिहा कर यह संदेश दिया है कि दोनों देशों की जनता को मानवीय आधार पर अलग रखा जाना चाहिए।
निष्कर्ष
आज की यह रिहाई न केवल कैदियों और उनके परिवारों के लिए राहत की खबर है, बल्कि यह भारत की मानवीय नीति और परिपक्व कूटनीति का भी परिचायक है। अब देखना होगा कि पाकिस्तान इस कदम को किस दृष्टि से लेता है और क्या इससे दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण रिश्तों में थोड़ी नरमी आती है या नहीं।