पंजाब में आई भीषण बाढ़ ने किसानों और आम नागरिकों के जीवन को गहराई से प्रभावित किया है। इसी पृष्ठभूमि में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ऐलान किया है कि राज्य विधानसभा का विशेष सत्र 26 से 29 सितंबर तक बुलाया गया है। इस दौरान बाढ़ प्रभावित इलाकों के लोगों को राहत पहुंचाने से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों और कानूनों पर चर्चा और मंजूरी की संभावना है।
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए कहा कि बाढ़ प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा देने और आपदा से जुड़े नियमों में आवश्यक संशोधन करने के लिए विधानसभा सत्र आयोजित किया जा रहा है। विधानसभा सचिवालय की ओर से इसके लिए नोटिस भी जारी कर दिया गया है।
इस विशेष सत्र की विशेषता यह होगी कि इसमें पहले से लंबित प्रस्तावों के साथ-साथ बाढ़ से प्रभावित किसानों और नागरिकों के लिए नए राहत पैकेज पर भी विचार किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि पहले हुए निर्णयों के अनुसार किसानों को प्रति एकड़ 20,000 रुपये का मुआवजा देने का फैसला लिया गया था। वहीं, बाढ़ में जान गंवाने वाले व्यक्तियों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये का मुआवजा देने की मंजूरी दी गई थी।
बाढ़ के कारण किसानों की धान की फसल को भारी नुकसान हुआ है। इस नुकसान का सर्वेक्षण पूरा होते ही प्रभावित किसानों को मुआवजा दिया जाएगा। इसके अलावा जिनके मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं या जिनके पशु बाढ़ में बह गए हैं, उन्हें भी उचित राहत राशि दी जाएगी।
विशेष सत्र में को-ऑपरेटिव बैंकों से कर्ज लेने वाले किसानों को छह माह तक किश्त न चुकाने और इस अवधि में ब्याज न लगाने का प्रस्ताव भी पेश किया जाएगा। इससे किसानों को अस्थायी आर्थिक राहत मिल सकेगी। वहीं, बाढ़ में क्षतिग्रस्त हुए सरकारी भवनों और ढांचे की मरम्मत के लिए भी बजट का प्रावधान करने पर चर्चा होगी।
राजनीतिक और सामाजिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विशेष सत्र पंजाब सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए ठोस कदम उठाना चाहती है। मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना है कि उनकी सरकार लोगों के साथ खड़ी है और किसी भी कीमत पर प्रभावित परिवारों को अकेला नहीं छोड़ेगी।
इस तरह यह सत्र राज्य के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। जहां एक ओर किसानों को उनकी मेहनत का उचित मुआवजा दिलाने की कोशिश होगी, वहीं दूसरी ओर आम नागरिकों और सरकारी ढांचे की मरम्मत के लिए भी बड़े फैसले लिए जा सकते हैं।