सार
बंगलूरू के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में भगदड़ मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने घटना का स्वतः संज्ञान लिया है। अदालत में दोपहर 2.30 बजे मामले की सुनवाई शुरू हुई। कोर्ट ने में कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने कहा कि इस मामले में दोषारोपण के लिए कोई जगह नहीं है।
विस्तार
कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को चिन्नास्वामी क्रिकेट स्टेडियम के पास हुई भगदड़ से संबंधित मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि हमने महाधिवक्ता के समक्ष अपनी बात रखी है। उन्होंने एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल की है, जिसे रिकॉर्ड में लिया गया है। रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि इस स्वत: संज्ञान को स्वत: संज्ञान रिट याचिका के रूप में पंजीकृत किया जाए। कोर्ट ने 10 जून, मंगलवार को याचिका को फिर से सूचीबद्ध करने के कहा।
1,000 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात थे
कर्नाटक सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि शहर के पुलिस आयुक्त, डीसीपी और एसीपी समेत 1,000 से ज्यादा पुलिसकर्मी एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के आसपास तैनात थे। यह बात डीके शिवकुमार के उस दावे के एक दिन बाद कही गई, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए 5,000 पुलिसकर्मी मौजूद थे। सरकार ने कहा कि पानी के टैंकर, एंबुलेंस और कमांड और कंट्रोल वाहन भी मौजूद थे। यह इंतजाम पिछले मैचों के दौरान किए गए काम से कहीं ज्यादा थे।
घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश
बुधवार को हुई इस घटना में 11 लोगों की मौत हो गई और 50 ज्यादा लोग घायल हो गए थे। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बंगलूरू शहरी उपायुक्त के नेतृत्व में घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। घटना तब हुई, जब बड़ी संख्या में लोग रॉयल चैंलेजर्स बेंगलुरु टीम की आईपीएल जीत के जश्न में भाग लेने के लिए चिन्नास्वामी स्टेडियम में उमड़ पड़े थे। मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वी कामेश्वर राव और न्यायमूर्ति सीएम जोशी की पीठ ने की। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने दलीलें पेश कीं।