सार
बिहार में बीते पांच वर्षों में क्या सियासी घटनाक्रम रहा है? राज्य में इस दौरान पार्टियों और सरकार में रहे गठबंधन का सीटों का गणित कैसा रहा? बिहार में कब-कब राजनीतिक ड्रामा देखने को मिला? 2020 के चुनावी नतीजे क्या रहे थे? अभी बिहार में विधानसभा की स्थिति क्या है? आइये जानते हैं…
विस्तार
बिहार में विधानसभा चुनाव का एलान होने में करीब छह महीने का समय बचा है। इस बीच राज्य में सियासी उथल-पुथल भी जारी है। हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य में लंबे समय से खाली पड़े मंत्री पदों पर अपनी पार्टी के विधायकों को शपथ दिलाई। पार्टी ने इस दौरान जातीय समीकरणों का खासा ख्याल रखा। इसके साथ ही सत्ताधारी गठबंधन में शामिल दलों में चुनाव बाद मुख्यमंत्री कौन बनेगा इसको लेकर भी बयानबाजी शुरू हो चुकी है। नीतीश कुमार की सेहत भी अक्सर चर्चा में रहती है।
ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर बिहार में 2020 के चुनावी नतीजे क्या रहे थे? इसके बाद बीते पांच वर्षों में क्या सियासी घटनाक्रम रहा है? राज्य में इस दौरान पार्टियों और सरकार में रहे गठबंधन का सीटों का गणित कैसा रहा? बिहार में कब-कब राजनीतिक ड्रामा देखने को मिला? अभी बिहार में विधानसभा की स्थिति क्या है? आइये जानते हैं…

पहले जानें- बिहार में 2020 में क्या रहे थे चुनावी नतीजे?
बिहार में 2020 में हुए विधानसभा चुनाव 28 अक्तूबर 2020 से 7 नवंबर 2020 तक आयोजित किए गए थे। मतगणना 10 नवंबर को कराई गई। यह मुकाबला सत्तासीन एनडीए गठबंधन और महागठबंधन के बीच था। उस वक्त एनडीए में भाजपा, जदयू, हम और वीआईपी शामिल थीं, जबकि महागठबंधन में राजद, वाम दल और कांग्रेस शामिल थीं।
243 विधानसभा सीटों वाले बिहार में नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) को 125 सीटों पर जीत मिली थी। इसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सबसे ज्यादा 74 सीटें हासिल हुई थीं, जबकि जनता दल यूनाइटेड (जदयू) को 43 सीटें मिली थीं। इसके अलावा विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को 4 सीटें हासिल हुई थीं। दूसरी तरफ महागठबंधन को बिहार में 110 सीटों पर जीत मिली थी। इनमें से राजद को सबसे ज्यादा 75 सीटें, कांग्रेस को 19 सीटें, वाम दलों (सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई-एमएल) को 16 सीटें मिली थीं।
वहीं, अन्य दलों में लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा), जो कि अब एनडीए का हिस्सा है, को 1 सीट और एआईएमआईएम को पांच सीटें मिली थीं। बसपा को एक और 1 निर्दलीय प्रत्याशी की भी जीत हुई थी।
नतीजों के बाद बिहार की सियासत कैसे बदली?
बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत में सबसे अहम भूमिका भाजपा की रही। इसके बावजूद पार्टी ने मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा नहीं किया। 43 सीटें होने के बावजूद जदयू का मुख्यमंत्री पद पर दावा बरकरार रहा और नीतीश कुमार ने एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि, इस बार कैबिनेट में भाजपा का बोलबाला रहा। पार्टी को जदयू से ज्यादा मंत्रीपद मिले। साथ ही उसने दो उपमुख्यमंत्री भी नियुक्त किए।


एनडीए का हिस्सा बने नीतीश, क्या रहा सीटों का गणित?
राजभवन में 28 जनवरी को सुबह 11 बजे जब सीएम नीतीश कुमार ने महागठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था, उस समय उनके पास भाजपा का समर्थन नहीं था। उनके पास उनकी पार्टी जनता दल यूनाईटेड के महज 45 विधायक थे। उनके इस्तीफा देने के बाद भाजपा ने जदयू को सरकार बनाने के लिए अपने 78 विधायकों का समर्थन दिया। इसके साथ ही राजग के घटक हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के चार विधायकों का भी समर्थन मिल गया। इकलौते निर्दलीय ने पहले की तरह नीतीश कुमार के प्रति भरोसा जताया। इस तरह नीतीश कुमार ने राजभवन में कुल 128 विधायकों का समर्थन दिखाया, जिसके आधार पर उन्हें नए मंत्रिमंडल के साथ शपथ दिलाई गई।
दूसरी तरफ महागठबंधन की ताकत 114 विधायकों तक सिमट कर रही थी। सबसे बड़ी पार्टी राजद के पास अपने 79 विधायक थे। उसके बाद कांग्रेस के 19 और वामदलों के 16 विधायक। इस तरह कुल 114 हुए। इनके अलावा, असद्दुद्दीन ओवैसी की पार्टी के इकलौते विधायक अलग ही रहे।