Written By: Priyanka Thakur
कुरुक्षेत्र में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव इन दिनों अपने रंगीन और सांस्कृतिक स्वरूप से पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर रहा है। शीत हवाओं के बीच सूरज की सुनहरी किरणें जब ब्रह्मसरोवर के जल पर पड़ती हैं तो दृश्य बेहद आकर्षक हो जाता है। यहां पहुंचे हजारों पर्यटक न केवल प्राकृतिक सौन्दर्य का आनंद ले रहे हैं, बल्कि शिल्पकारों की अनोखी हस्तकला को देखकर खरीदारी भी कर रहे हैं।
देश भर से आए शिल्पकार अपनी परंपरागत कलाओं के जरिए इस महोत्सव में विशेष पहचान बना रहे हैं। वहीं ऑनलाइन माध्यम से विदेशों में बैठे दर्शक भी इस आयोजन की हर गतिविधि का आनंद उठा रहे हैं।
राजस्थान के देसी व्यंजन जैसे दाल बाटी, चूरमा, राज कचौरी और केसरिया दूध पर्यटकों की जीभ को नए स्वाद से रूबरू करा रहे हैं। वहीं राजस्थान का प्रसिद्ध लोक नृत्य कच्ची घोड़ी कार्यक्रम में उत्साह बढ़ा रहा है।
धार्मिक और सामाजिक संस्थाएं आने वाले पर्यटकों को महान विभूतियों के विचारों और प्रेरणादायक संदेशों से परिचित करवा रही हैं, जिससे युवा पीढ़ी संस्कारों से जुड़ सके।
बनारस के शिल्पकार अकील अहमद 25 वर्षों से बनारसी साड़ी और सूट के जरिए इस मेले में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
इसके अलावा कश्मीर का स्वादिष्ट काहवा ठंड में गर्माहट का एहसास दे रहा है, जिसे लोग खास पसंद कर रहे हैं। कश्मीर से आए कलाकारों ने बताया कि इस वर्ष भी उनके स्टॉल पर पर्यटकों की बड़ी संख्या देखने को मिल रही है।


