Written by: Priyanka Thakur
कुरुक्षेत्र में चल रहा अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव अपने शानदार सांस्कृतिक प्रदर्शन, पारंपरिक हस्तशिल्प और देशभर के व्यंजनों के कारण पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र बन गया है। ब्रह्मसरोवर के किनारे बसाया गया यह आयोजन आध्यात्मिक माहौल के साथ-साथ कला और पर्यटन को भी नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है।
हस्तशिल्प प्रदर्शनी में आए कलाकार अपनी अनोखी कलाओं के माध्यम से लोगों का दिल जीत रहे हैं। बनारसी बुनाई से लेकर मिट्टी की शिल्पकला तक, हर स्टॉल पर पारंपरिक भारतीय संस्कृति की झलक दिखाई देती है।
वहीं पर्यटक राजस्थान के स्वादिष्ट व्यंजनों — दाल-बाटी, चूरमा, राज कचौरी और केसरिया दूध का आनंद लेने बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। राजस्थान का लोकप्रिय कच्ची घोड़ी नृत्य पर्यटकों में ऊर्जा भर देता है और सभी को झूमने पर मजबूर कर देता है।
इसके अलावा कश्मीर का पारंपरिक काहवा इस ठंड के मौसम में लोगों के लिए गर्माहट भरा विशेष व्यंजन साबित हो रहा है। इसे चखने के लिए युवाओं और पर्यटकों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं।
महोत्सव में धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से महान विभूतियों के विचार और भारतीय संस्कृति के संदेश भी युवाओं तक पहुंचाए जा रहे हैं, जिससे यह महोत्सव केवल मनोरंजन ही नहीं बल्कि सीख देने वाला मंच भी बन गया है।
ब्रह्मसरोवर पर चहल-पहल के साथ इस मेले का दृश्य किसी उत्सव से कम नहीं लग रहा। आने वाले दिनों में और भी ज्यादा भीड़ व उत्साह देखने की उम्मीद है।


