स्नान पूर्णिमा के बाद भगवान का बीमार होना
12 जून 2025 को पुरी में स्नान पूर्णिमा का पर्व मनाया गया, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्र को 108 कलश जल से स्नान कराया गया। यह जल पुरी के जगन्नाथ मंदिर के ‘सुन कुआं’ (स्वर्णकुंआ) से लिया जाता है। इस विशेष स्नान के बाद, परंपरा के अनुसार, भगवान बीमार हो जाते हैं और उन्हें 15 दिनों के लिए विश्राम में भेजा जाता है। इसे ‘अनासरा’ कहा जाता है। इस दौरान भगवान को हर्बल उपचार दिया जाता है और उन्हें आम जनता से दूर रखा जाता है ।
रथ यात्रा 2025 27 जून, शुक्रवार को आयोजित होगी। यह यात्रा पुरी के जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर गुंडिचा मंदिर तक जाती है, जहाँ भगवान एक सप्ताह तक विश्राम करते हैं। यात्रा के दौरान भगवान के रथों को हजारों भक्त रस्सियों से खींचते हैं, जिसे पुण्यदायक माना जाता है ।
विश्राम और उपचार: भगवान को हर्बल उपचार दिया जाता है और उन्हें विश्राम में रखा जाता है।
इस दौरान भगवान की पेंटिंग्स की पूजा की जाती है, ताकि भक्तों की श्रद्धा बनी रहे।
26 जून को नवजौबन दर्शन के दिन, भगवान का नया रूप भक्तों के सामने आता है, जिससे उनकी यात्रा के लिए तैयार होने की प्रतीकात्मकता होती है ।
यदि आप इस वर्ष रथ यात्रा में भाग लेने की योजना बना रहे हैं, तो स्वास्थ्य संबंधित सावधानियाँ बरतना आवश्यक है।