शहीदी दिवस पर श्रीनगर से भव्य नगर कीर्तन शुरू: नंगे पांव गुरुद्वारा छठी पातशाही पहुंचे भगवंत मान, अरविंद केजरीवाल; सुरक्षा व्यवस्था कड़ी
चंडीगढ़/श्रीनगर | 19 नवंबर 2025
श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस के अवसर पर बुधवार को श्रीनगर स्थित गुरुद्वारा छठी पातशाही से भव्य नगर कीर्तन की शुरुआत हुई। इस ऐतिहासिक आयोजन से पहले गुरुद्वारा परिसर व आसपास के इलाकों में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और वित्त मंत्री हरपाल चीमा नंगे पांव गाड़ी से उतरकर गुरुद्वारा साहिब पहुंचे।
इस समय श्रीनगर का तापमान 4 डिग्री है, इसके बावजूद लोग बड़ी संख्या में नगर कीर्तन में शामिल हो रहे हैं।
■ उमर अब्दुल्ला भी पहुंचे
जम्मू–कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला अपनी गाड़ी खुद चलाकर गुरुद्वारा पहुंचे और श्रद्धा प्रकट की।
■ एक दिन पहले हुए भव्य आयोजन
मंगलवार रात गुरुद्वारा परिसर में कीर्तन, लंगर और किताबों की प्रदर्शनी का आयोजन हुआ। प्रसिद्ध रागी हरजिंदर सिंह ने संगत को शबद-कीर्तन से निहाल किया।
लंगर देर रात तक चला और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।
■ केजरीवाल का संदेश
अरविंद केजरीवाल ने कहा—
“गुरु तेग बहादुर साहिब के 350वें शहीदी दिवस पर पंजाब सरकार आनंदपुर साहिब में कई बड़े कार्यक्रम करवा रही है। मैं दुनिया भर के लोगों को आमंत्रित करता हूं कि वे आकर गुरु साहिब के सर्वोच्च बलिदान को नमन करें।”
■ भगवंत मान बोले— कश्मीरी पंडित भी जुड़ेंगे यात्रा से
सीएम भगवंत मान ने बताया कि श्रीनगर से रवाना हो रहा यह जत्था जम्मू, पठानकोट और होशियारपुर से होते हुए आनंदपुर साहिब पहुंचेगा।
उन्होंने कहा—
“जब कश्मीरी पंडित गुरु साहिब के पास अपनी बात कहने आए थे, उसी इतिहास को दोहराते हुए यह यात्रा आनंदपुर साहिब तक जाएगी।”
अमृतसर और अन्य स्थानों से भी तीन अलग-अलग जत्थे आनंदपुर साहिब पहुंचेंगे, जहां भव्य समागम होगा।
जहां से मदद की पुकार उठी, वहीं से शुरू हुई यात्रा – इतिहास ने पूरा चक्र पूरा किया
350 साल पहले इसी श्रीनगर की धरती से कश्मीरी पंडितों ने अपने धर्म और अस्तित्व की रक्षा के लिए गुरु घर से मदद मांगी थी।
अब उसी स्थान से शुरू हुआ यह नगर कीर्तन न सिर्फ धार्मिक यात्रा है बल्कि इतिहास को पुनर्जीवित करने वाला क्षण बन गया है।
गुरुद्वारा छठी पातशाही में सुबह से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।
कश्मीरी पंडित, सिख और मुस्लिम समुदाय के लोग एक साथ शामिल होकर भाईचारे का अनोखा संदेश दे रहे हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार यह आयोजन कश्मीर घाटी में शांति, एकता और सांझी विरासत का प्रतीक बनकर उभर रहा है।
श्रद्धालुओं की भावनाएं
राजिंदर सिंह (65), बारामूला निवासी ने कहा—
“मेरे पिता मुझे बचपन में इस गुरुद्वारे लाते थे। आज इसी धरती से आनंदपुर साहिब तक नगर कीर्तन जाते देखना मेरे लिए गर्व का पल है।”
श्रीनगर निवासी जोहन रहमान ने कहा—
“यह आयोजन घाटी की सांझी संस्कृति का प्रतीक है। लंबे समय बाद लोगों में वह पुराना उत्साह लौटता दिखाई दे रहा है।”
यह नगर कीर्तन अब विभिन्न पड़ावों से गुजरते हुए पंजाब के आनंदपुर साहिब पहुंचेगा।
लोग इसे गुरु तेग बहादुर जी की मानवता की रक्षा करने वाली विरासत और कश्मीर–पंजाब के सदियों पुराने ऐतिहासिक संबंधों को फिर से जोड़ने वाला अध्याय मान रहे हैं।


