Sunday, August 3, 2025
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वायु प्रदूषण से निपटने के लिए हरियाणा का रोडमैप तैयार। 

वायु प्रदूषण से निपटने के लिए हरियाणा का रोडमैप तैयार। 

 

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अध्यक्ष राजेश वर्मा ने हरियाणा में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए पर्यावरण से जुड़े विभिन्न निर्देशों के कार्यान्वयन के संबंध में बैठक की अध्यक्षता की। हरियाणा के मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने बैठक में प्रदेश, विशेष रूप से एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक व्यापक और बहु-क्षेत्रीय कार्य योजना प्रस्तुत की।

 बैठक में सीएक्यूएम के वरिष्ठ सदस्य डॉ. वीरेंद्र शर्मा और डॉ. सुजीत कुमार बाजपेयी, हरियाणा के पर्यावरण, वन और वन्यजीव विभाग के  अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष विनीत गर्ग, ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ए.के. सिंह, विकास एवं पंचायत विभाग के आयुक्त एवं सचिव डॉ. साकेत कुमार और विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। बैठक में भाग लेने के बाद, मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने बताया कि हरियाणा वर्ष 2025 में धान की पराली जलाने की समस्या को खत्म करने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने आयोग को बताया कि राज्य ने इस मुद्दे को समग्र रूप से हल करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन और नियामक कार्रवाई को मिलाकर तत्परता से कदम उठाए हैं। प्रदेश में धान की खेती के तहत कुल 41.37 लाख एकड़ में से लगभग 85.50 लाख मीट्रिक टन पराली उत्पन्न होने की उम्मीद है। इसके अलावा, 22.63 लाख एकड में बासमती और 18.74 लाख एकड़ में गैर-बासमती की खेती की जा रही है। किसानों की सहायता के लिए, प्रदेश में तीन प्रमुख योजनाओं के तहत वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ के तहत 8000 रुपये प्रति एकड़, फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) के लिए 1200 रुपये प्रति एकड़ और सीधी बिजाई वाले धान (डीएसआर) के लिए 4500 रुपये प्रति एकड़ की दर से वित्तीय सहायता दी जाती है। इन योजनाओं के लिए आवेदन ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल के माध्यम से प्राप्त किए जा रहे हैं, जिससे किसानों के लिए पारदर्शिता और आसान पहुँच सुनिश्चित हो रही है। राज्य सरकार ने प्रवर्तन को लेकर भी कई सख्त कदम उठाए हैं। इसके अलावा, श्री रस्तोगी ने सीएक्यूएम को गैर-एनसीआर जिलों में स्थित ईंट भट्टों में धान की पराली आधारित बायोमास पैलेट के उपयोग को अनिवार्य करने के लिए हरियाणा के ठोस प्रयासों के बारे में भी जानकारी दी। निर्देश संख्या 92 के तहत एक स्पष्ट समय-सीमा निर्धारित की गई है, जिसमें नवंबर 2025 तक 20 प्रतिशत और नवंबर 2028 तक 50 प्रतिशत तक बायोमास के उपयोग का लक्ष्य रखा गया है। पर्यावरण के लिहाज से इस टिकाऊ पहल को मुख्यमंत्री से मंजूरी मिल चुकी है। श्री रस्तोगी ने बताया कि कार्यान्वयन के लिए 15 दिनों के भीतर मानक संचालन प्रक्रिया जारी की जाएगी ताकि सभी संबंधित भट्टों में समान प्रक्रिया अपनाई जा सके। हरियाणा-एनसीआर में सड़कों और खुले क्षेत्रों से धूल प्रदूषण को कम करने के लिए मुख्य सचिव ने एक बहुआयामी रणनीति की रूपरेखा पेश की। श्री रस्तोगी ने बताया कि उन्होंने गत 16 जून, 2025 को एक राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक में सभी विभागों को वित्तीय प्रतिबद्धताओं के साथ वित्त वर्ष 2025-26 के लिए विभागवार अंतिम कार्य योजनाएँ प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। उन्होंने बताया कि सड़क-स्वामित्व वाली हर एजेंसी को सीएक्यूएम द्वारा निर्धारित मानक ढांचे के अनुसार कम से कम एक मॉडल सड़क खंड विकसित करने के लिए कहा गया है। शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय द्वारा 24 जून को गुरुग्राम में एक सफल ओरियंटेशन और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहां सीएक्यूएम अधिकारियों, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जना अर्बन स्पेस और राहगीरी फाउंडेशन द्वारा विस्तृत प्रस्तुतियां दी गईं। मुख्य सचिव ने धूल से निपटने के लिए चिन्हित किए गए तीन प्रमुख शहरों-गुरुग्राम, फरीदाबाद और सोनीपत में शहरी सड़क पुनर्विकास के लिए भी राज्य सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने बताया कि लोक निर्माण (भवन एवं सड़कें), हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, एचएसआईआईडीसी, एनएचएआई, फरीदाबाद महानगर विकास प्राधिकरण और सोनीपत महानगर विकास प्राधिकरण समेत विभिन्न विभागों को फुटपाथ के पुनर्विकास, बीच की पट्टियों और ट्रैफिक चौराहों को हरा-भरा करने, सड़क के किनारों को पक्का करने तथा निर्माण और विध्वंस (सी एंड डी) मलबे के उचित निपटान और प्रबंधन के लिए विस्तृत प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। इन प्रयासों का उद्देश्य न केवल धूल के स्तर को कम करना है, बल्कि शहरी सौंदर्य और बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता को बढ़ाना भी है। मुख्य सचिव वाहन प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों का भी उल्लेख किया। उन्होंने एंड ऑफ लाइफ (ईओएल) वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने, डिलीवरी एग्रीगेर्ट्स और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म द्वारा स्वच्छ गतिशीलता समाधानों को अपनाने तथा अंतर-शहरी और अखिल भारतीय पर्यटक परमिट बसों को स्वच्छ ईंधन में परिवर्तित करने के लिए सीएक्यूएम के निर्देशों की कार्यान्वयन स्थिति के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने ऑटोरिक्शा सहित सार्वजनिक परिवहन बेड़े को इलेक्ट्रिक या स्वच्छ ईंधन आधारित वाहनों में परिवर्तित करने के लिए भी हरियाणा की प्रतिबद्धता दोहराई। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अध्यक्ष श्री राजेश वर्मा ने हरियाणा की डेटा-संचालित, समयबद्ध और वित्तीय रूप से समर्थित कार्य योजना की सराहना की। साथ ही, उन्होंने सीएक्यूएम के निर्देशों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने और अधिक पर्यावरणीय जिम्मेदारी को बढ़ावा देने के लिए सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) गतिविधियों की आवश्यकता पर भी बल दिया।

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