मलेरिया एवं डेंगू के विरुद्ध अभियान – मच्छर नाशक गम्बूसिया मछली का विसर्जन
चंडीगढ़, 24 सितम्बर 2025:
पशुपालन एवं मत्स्य पालन विभाग, यू.टी. चंडीगढ़ ने वन विभाग के सहयोग से मलेरिया और डेंगू जैसी मच्छर जनित बीमारियों पर नियंत्रण पाने के लिए एक विशेष अभियान की शुरुआत की है। इस पर्यावरण अनुकूल पहल के तहत कॉलोनी नंबर 4 स्थित दो तालाबों में मच्छर-नाशक गम्बूसिया मछलियाँ छोड़ी गईं।
इस अवसर पर सचिव, पशुपालन एवं मत्स्य पालन विभाग श्री प्रदीप कुमार ने बताया कि गम्बूसिया फिंगरलिंग्स का विसर्जन न केवल मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों को रोकने में मदद करता है, बल्कि यह स्थिर जलाशयों में पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में भी सहायक सिद्ध होता है। उन्होंने कहा कि जल्द ही इन मछलियों को अन्य स्थिर जल स्रोतों में भी छोड़ा जाएगा ताकि पूरे क्षेत्र में मच्छरों की संख्या को नियंत्रित किया जा सके।
विभाग के निदेशक श्री नवीन ने जानकारी दी कि ये मछलियाँ चंडीगढ़ स्थित सुखना झील के रेगुलेटरी एंड पर स्थित सरकारी फिश सीड फार्म में पाली जाती हैं। उल्लेखनीय है कि उत्तरी भारत में यह फार्म एकमात्र ऐसा स्थान है जहाँ गम्बूसिया मछलियों का प्रजनन किया जाता है। इन्हें बाद में विभिन्न जलाशयों में छोड़ा जाता है ताकि मच्छरों के प्रजनन को प्रभावी रूप से रोका जा सके। उन्होंने यह भी बताया कि आम नागरिक अपनी आवश्यकता अनुसार इन मछलियों को मुफ्त में सरकारी फिश सीड फार्म से प्राप्त कर सकते हैं और इन्हें घर के तालाबों, फव्वारों और स्थिर जल स्रोतों में छोड़ सकते हैं।
संयुक्त निदेशक, डॉ. अश्विनी ने विस्तार से बताया कि गम्बूसिया मछली मच्छर के लार्वा को अपना भोजन बनाती है। एक वयस्क मछली प्रतिदिन 100 से 300 तक मच्छर लार्वा खा सकती है। इससे मच्छरों की संख्या पर स्वाभाविक रूप से नियंत्रण होता है। साथ ही, ये मछलियाँ अधिक प्रजनन नहीं करतीं और पर्यावरण के अनुसार अपनी संख्या को संतुलित बनाए रखती हैं।
अधिकारियों का मानना है कि इस पहल से चंडीगढ़ में मलेरिया और डेंगू जैसे रोगों की रोकथाम को नई गति मिलेगी। गम्बूसिया मछली का उपयोग एक प्राकृतिक, सुरक्षित और स्थायी समाधान है, जो न केवल स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी है बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।