चंडीगढ़, 4 अक्टूबर:
पंजाब में शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने मुख्य सचिव, पंजाब को निर्देश जारी किए हैं कि सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को किसी भी तरह की गैर-शैक्षिक या प्रशासनिक ड्यूटी पर तैनात न किया जाए।
मंत्री ने कहा कि “शिक्षक पढ़ाने के लिए हैं, न कि रूटीन क्लेरिकल और प्रशासनिक कार्यों के लिए।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि शिक्षकों की मुख्य जिम्मेदारी विद्यार्थियों को शिक्षित करना है, और उन्हें अन्य कार्यों में लगाना न केवल उनके साथ बल्कि बच्चों के अधिकारों के साथ भी अन्याय है।
हरजोत सिंह बैंस ने अपने पत्र में लिखा कि शिक्षक सामान्य सरकारी कर्मचारी नहीं हैं, बल्कि वे ज्ञान और मूल्यों के वाहक हैं जो राज्य के भविष्य को दिशा देते हैं। उन्होंने आर.टी.ई. (बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार) अधिनियम, 2009 की धारा 27 का हवाला देते हुए कहा कि कानून शिक्षकों की गैर-शैक्षिक तैनाती पर रोक लगाता है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि केवल कुछ विशेष परिस्थितियों — जैसे जनगणना, आपदा राहत कार्य या चुनाव ड्यूटी के दौरान ही शिक्षकों की गैर-शैक्षिक सेवाएँ ली जा सकती हैं।
उन्होंने यह भी आदेश दिया कि किसी भी प्रशासनिक विभाग द्वारा शिक्षक की ड्यूटी लगाने से पहले स्कूल शिक्षा विभाग से लिखित अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
बैंस ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में राज्य सरकार का लक्ष्य पंजाब में शिक्षा की गुणवत्ता को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाना है, ताकि हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण और निर्बाध शिक्षा मिल सके।