हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला: किसानों को नहर प्रबंधन में राहत, मंडियों में धान की खरीद जारी
चंडीगढ़, 30 सितम्बर – हरियाणा सरकार ने किसानों और जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए सिंचाई प्रणाली में एक अहम सुधारात्मक कदम उठाया है। सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री श्रुति चौधरी ने घोषणा की है कि जून 2020 में जारी आदेशों को रद्द कर दिया गया है, जिनके तहत जुई, सिवानी और हिसार जल सेवा प्रभागों की कुछ नहर प्रणालियों का नियंत्रण लोहारू डिवीजन को सौंपा गया था।
सरकार का मानना है कि यह आदेश व्यवहारिक रूप से किसानों के लिए समस्याएँ पैदा कर रहा था क्योंकि नहरों का केवल अंतिम हिस्सा लोहारू डिवीजन के पास था, जबकि मुख्य भाग अपने मूल डिवीजनों के अधीन ही रहा। इस विभाजित नियंत्रण से नहरों का प्रबंधन बाधित हुआ और टेल एरिया के किसानों तक समय पर पानी नहीं पहुँच पाया।
नहर प्रबंधन में सुधार
श्रुति चौधरी ने अधिकारियों के साथ हुई समीक्षा बैठक के बाद स्पष्ट किया कि किसानों और जनता की मांग पर नहरों को वापस उनके मूल डिवीजनों को सौंपा गया है। अब हैड से लेकर टेल तक पूरा नियंत्रण एक ही डिवीजन के पास होगा, जिससे पानी का वितरण संतुलित और कुशल हो सकेगा।
मंत्री ने कहा कि इस निर्णय से:
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दोहरी जिम्मेदारी समाप्त होगी और अधिकारियों की जवाबदेही स्पष्ट रहेगी।
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नहरों की निगरानी, मरम्मत और नियमन मूल डिवीजनों के अधीन होंगे, जिससे कार्यप्रणाली और अधिक प्रभावी होगी।
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सरकारी खर्च में बचत होगी क्योंकि दो डिवीजनों के बीच संसाधनों और स्टाफ का दोहराव खत्म होगा।
उन्होंने कहा कि पिछले पाँच वर्षों में यह स्पष्ट हो गया था कि जून 2020 के आदेश किसानों के लिए व्यावहारिक रूप से लाभकारी नहीं थे। नहरों के सिर और टेल हिस्से अलग-अलग डिवीजनों में होने से पानी का अकुशल वितरण हुआ, जिसके कारण विशेषकर टेल क्षेत्रों में किसानों को नुकसान उठाना पड़ा।
किसानों को होगा सीधा लाभ
मंत्री ने भरोसा दिलाया कि नहरों को उनके मूल डिवीजनों में बहाल करने से किसानों को कई स्तरों पर फायदा होगा।
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टेल एरिया के किसानों को समय पर पानी मिलेगा।
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नहरों का पुनर्वास और मरम्मत कार्य तेज गति से होगा।
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किसानों को विवादों और शिकायतों से राहत मिलेगी क्योंकि अब जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से तय होगी।
श्रुति चौधरी ने यह भी बताया कि सरकार बुनियादी ढांचे में सुधार पर विशेष ध्यान दे रही है। भिवानी जिले के सिवानी ब्लॉक के खेड़ा गाँव में 17.54 करोड़ रुपये की लागत से ऑफिस कॉम्प्लेक्स, नहर विश्राम गृह और स्टाफ आवास का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। यहाँ लोहारू, सिवानी और मिकाडा डिवीजनों के एसडीओ एक ही जगह पर बैठेंगे, जिससे किसानों को अपनी समस्याएँ नजदीक ही सुलझाने की सुविधा मिलेगी।
धान खरीद सीजन 2025: अब तक 2.79 लाख टन धान खरीदा गया
हरियाणा की मंडियों में खरीफ खरीद सीजन-2025 जोरों पर है। राज्य सरकार द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, अब तक 2,79,502.86 मीट्रिक टन धान की खरीद हो चुकी है। इनमें से 48,838.72 मीट्रिक टन धान का उठान भी हो चुका है।
धान खरीद का ब्योरा:
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खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग: 1,69,427.82 मीट्रिक टन
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हैफेड: 82,785.87 मीट्रिक टन
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हरियाणा राज्य भंडारण निगम: 27,289.18 मीट्रिक टन
राज्य भर में करीब 28,599 पंजीकृत किसानों से धान खरीदा गया है, जो ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ पोर्टल पर पंजीकृत हैं।
कुरुक्षेत्र बना सबसे बड़ा केंद्र
धान की खरीद में कुरुक्षेत्र जिला सबसे आगे है। यहाँ अब तक:
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1,40,592.56 मीट्रिक टन धान की आवक हुई।
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1,13,085.78 मीट्रिक टन धान की खरीद की जा चुकी है।
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लगभग 10,298 किसानों से धान खरीदा गया।
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41,210.06 मीट्रिक टन धान का उठान भी पूरा हो चुका है।
खरीद केंद्रों पर किसानों की सुविधा के लिए खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग, हैफेड और हरियाणा राज्य भंडारण निगम मिलकर कार्य कर रहे हैं।
सरकार की प्राथमिकता: किसान कल्याण और पारदर्शिता
इन दोनों निर्णयों – नहर प्रबंधन सुधार और धान की सफल खरीद – को हरियाणा सरकार की किसान कल्याण नीति का हिस्सा माना जा रहा है। एक ओर जहां सिंचाई व्यवस्था को तर्कसंगत बनाकर पानी की आपूर्ति को बेहतर किया गया है, वहीं दूसरी ओर किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर धान खरीद कर उनकी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है।
श्रुति चौधरी ने कहा कि सरकार हमेशा जमीनी हकीकत को ध्यान में रखकर फैसले लेती है। पुराने आदेशों की समीक्षा कर उन्हें बदलना इसी नीति का हिस्सा है। उन्होंने दावा किया कि यह कदम किसानों को लाभ पहुँचाने और प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगा।


