Wednesday, October 22, 2025
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बीपीएस महिला विश्वविद्यालय के शिक्षण एवं गैर-शिक्षण कर्मियों के चार माह से लंबित वेतन न मिलने कारण मनाई ‘काली दिवाली

बीपीएस महिला विश्वविद्यालय के शिक्षण एवं गैर-शिक्षण कर्मियों के चार माह से लंबित वेतन न मिलने कारण मनाई ‘काली दिवाली
चंडीगढ़, 22 अक्टूबर 2025
भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, खानपुर कलां के शिक्षण (टीचिंग) एवं गैर-शिक्षण (नॉन-टीचिंग) कर्मचारियों ने चार माह (जुलाई से अक्टूबर तक) से वेतन न मिलने के विरोध में इस वर्ष ‘काली दिवाली’ मनाई।
विश्वविद्यालय के अस्थायी असिस्टेंट प्रोफेसरों की एसोसिएशन सहित सभी टीचिंग और नॉन-टीचिंग संघों ने संयुक्त रूप से विश्वविद्यालय प्रशासन से कई बार लंबित वेतन की शीघ्र रिलीज़ की मांग की थी। कुलपति प्रो. सुदेश, कुलसचिव प्रो. शिवालिक यादव एवं अन्य उच्च अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि दीपावली से पूर्व वेतन जारी कर दिया जाएगा, किन्तु दिवाली जैसे महत्वपूर्ण पर्व तक भी कर्मचारियों को वेतन प्राप्त नहीं हो सका।
हुक्टा के अध्यक्ष एवं बीपीएसएमवी अस्थायी असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ. विजय मलिक, अध्यक्ष डॉ. सुमन रंगा, डॉ. शीतल शर्मा, डॉ. दिनेश, डॉ. अंजू, डॉ. अमित आदि ने बताया कि वेतन न मिलने के कारण समस्त कर्मचारी एवं उनके परिवार गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। दिवाली जैसे त्यौहार को भी सभी ने ‘काली दिवाली’ के रूप में मनाया।
कर्मचारियों ने कहा कि बार-बार लिखित व मौखिक निवेदन के बावजूद प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। लगातार चार माह से वेतन लंबित रहने के कारण कर्मचारी ऋण, बच्चों की फीस, मेडिकल बिल, और घरेलू खर्च जैसे आवश्यक दायित्व पूरे नहीं कर पा रहे हैं। कई कर्मचारियों के बैंक लोन की ईएमआई न भर पाने के कारण उनके CIBIL स्कोर भी प्रभावित हो चुके हैं, जिससे भविष्य में उन्हें वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
कर्मचारियों का कहना है कि नियमित वेतन वितरण न होने से न केवल उनके आर्थिक जीवन पर, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
सभी टीचिंग एवं नॉन-टीचिंग एसोसिएशनों ने कुलपति, रजिस्ट्रार और वित्त अधिकारी से निवेदन किया है कि विश्वविद्यालय में वेतन का नियमित और समयबद्ध भुगतान सुनिश्चित किया जाए। इसी क्रम में सभी कर्मचारी जल्द ही मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री से भी मिलेंगे और फिर भी समाधान नहीं हुआ तो कर्मचारी एक संयुक्त बैठक कर निर्णायक आंदोलन करने को बाध्य होंगे, जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन व हरियाणा सरकार की होगी।
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