हरियाणा में मनरेगा योजना की अनदेखी से गरीबों और मजदूरों के साथ हो रहा अन्याय – कुमारी सैलजा
कहा-मनरेगा सिर्फ कागजों में नहीं, बल्कि गरीब मजदूरों की जिंदगी सुधारने का साधन बने
Priyanka Thakur
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा हैै कि केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का उद्देश्य गांवों के गरीब व जरूरतमंद परिवारों को न्यूनतम 100 दिन का रोजगार सुनिश्चित करना है। लेकिन हाल ही में जारी आंकड़े साफ दिखाते हैं कि हरियाणा सरकार इस योजना को धीरे-धीरे कमजोर कर रही है, जिससे लाखों गरीब मजदूर परिवार प्रभावित हो रहे हैं। प्रदेश की भाजपा सरकार इस योजना की अनदेखी कर गरीबों और मजदूरों के साथ अन्याय कर रही है। सांसद ने सरकार से अनुरोध किया कि मनरेगा सिर्फ कागजों में नहीं, बल्कि जमीन पर गरीब मजदूरों की जिंदगी सुधारने का साधन बननी चाहिए।
मीडिया को जारी बयान में सांसद कुमारी सैलजा ने कहा है कि 2007-08 से लेकर 2022-23 तक के आंकड़े दर्शाते हैं कि पंजीकृत परिवारों की संख्या बढ़ने के बावजूद रोजगार मांगने और प्राप्त करने वालों की संख्या में भारी गिरावट आई है। विशेष रूप से 100 दिन का रोजगार पाने वाले परिवारों की संख्या चिंताजनक रूप से बेहद कम है। 2022-23 में पंजीकृत 12.35 लाख परिवारों में से केवल 4.72 लाख ने ही रोजगार मांगा और सिर्फ 1,331 परिवारों को ही 100 दिन का रोजगार मिला। यह स्थिति गरीबों के साथ एक बड़े मजाक से कम नहीं है। हरियाणा जैसे राज्य में, जहां ग्रामीण मजदूर वर्ग पहले से ही महंगाई, बेरोजगारी और कृषि संकट से जूझ रहा है, वहां मनरेगा को ठप करना गरीबों की रोटी छीनने जैसा है। केंद्र सरकार से मिलने वाले फंड का सही उपयोग न होना और ग्रामीण विकास विभाग की उदासीनता इस गिरावट के मुख्य कारण हैं।
सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा में जो कार्य मनरेगा के तहत करवाया जाना चाहिए था ठेकेदार उस कार्य को जेसीबी से करवाकर गरीबों और मजदूरों का हक छीन रहे हैं। इसकी सरकार भी अनदेखी भी अनदेखी कर रही है, कही न कही सरकार का ठेकेदारों को मूक समर्थन है। सांसद ने सरकार से मांग की है कि हरियाणा सरकार तत्काल एक विशेष ऑडिट कराए कि मनरेगा में रोजगार क्यों घटा है और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए, हर गांव में पारदर्शी तरीके से मनरेगा के काम तय किए जाएं और मजदूरों को समय पर भुगतान मिले, योजना को कृषि और अन्य ग्रामीण उत्पादक कार्यों से जोड़ा जाए, ताकि मजदूरों को सतत रोजगार मिले और गांवों का विकास भी हो, 100 दिन का रोजगार हर पात्र परिवार को सुनिश्चित किया जाए और इसमें किसी भी तरह की कटौती न हो। गरीबों का हक छीना नहीं जाना चाहिए। मनरेगा सिर्फ कागजों में नहीं, बल्कि जमीन पर गरीब मजदूरों की जिंदगी सुधारने का साधन बने।
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आपदा पीड़ितों के साथ मजाक कर रही है उत्तराखंड सरकार
सिरसा से कांग्रेस की सांसद और उत्तराखंड की प्रभारी कुमारी सैलजा ने कहा कि उत्तराखंड में हाल ही में हुई भीषण तबाही से हजारों परिवारों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। ऐसे कठिन समय में प्रभावित लोगों को मात्र 5000 की चेक राशि बांटना, उनके दर्द और आवश्यकता के मुकाबले अत्यंत अपर्याप्त है। यह राहत नहीं, बल्कि पीड़ितों के साथ अन्याय है, और ऐसा कर सरकार उनके साथ मजाक कर रही है। जब वहां पर सारे रास्ते बंद है तो चेक लेकर पीड़ित कहां जाएंगे जबकि बैंक तक सुचारू रूप से काम नहीं कर रहे है। आपदा प्रभावित परिवारों को उनके पुनर्वास, आजीविका बहाली और आवश्यक जीवन सुविधाओं के लिए पर्याप्त आर्थिक सहायता, त्वरित राहत सामग्री और स्थायी पुनर्वास योजनाएं मिलनी चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह संवेदनशीलता दिखाते हुए राहत पैकेज को वास्तविक जरूरतों के अनुरूप बढ़ाए, ताकि पीड़ित परिवार जल्द से जल्द सामान्य जीवन में लौट सकें। सांसद ने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर प्रभावित जनता के साथ खड़ी है और केंद्र एवं राज्य सरकार से तत्काल राहत राशि में वृद्धि और पुनर्वास के ठोस कदम उठाने की मांग करती है।