चंडीगढ़, 22 सितंबर:(Saurabh Manchanda) चंडीगढ़ से सांसद और पूर्व केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री, भारत सरकार एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष तिवारी ने चंडीगढ़ में भारतीय खाद्य निगम (FCI) सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में भारतीय खाद्य निगम के सभी अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक के दौरान पंजाब क्षेत्र के महाप्रबंधक बी. श्रीनिवासन ने पंजाब राज्य और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में धान और चावल की खरीद प्रक्रिया पर विस्तार से प्रस्तुति दी। इसके अलावा, पंजाब लार्ज इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बोर्ड के पूर्व चेयरमैन पवन दीवान भी बैठक में विशेष रूप से मौजूद रहे।
मनीष तिवारी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि पंजाब और चंडीगढ़ में धान की खरीद पूरी तरह सुचारू और पारदर्शी हो। उन्होंने कहा कि किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इसके अलावा खरीदे गए और पिसाई किए गए धान को जल्द से जल्द राज्य से बाहर भेजने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए। आगामी फसल के लिए पर्याप्त क्षमता सुनिश्चित करने हेतु यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि राइस मिल मालिकों के गोदाम और शेड्स अत्यधिक भीड़ से मुक्त रहें और खरीदी एजेंसियों द्वारा अतिरिक्त भंडारण क्षमता के रूप में उनका दुरुपयोग न किया जाए।
उन्होंने यह भी ज़ोर दिया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और सार्वजनिक वितरण कार्यक्रम के तहत लोगों को उपलब्ध कराया जाने वाला अनाज उच्च गुणवत्ता का और मानव उपभोग के योग्य होना चाहिए। मनीष तिवारी ने कहा कि उनके पूर्व संसदीय क्षेत्र आनंदपुर साहिब में इस संबंध में शिकायतें आती रही हैं।
बैठक में यह भी चिंता जताई गई कि दक्षिणी राज्यों में धान की अधिक खेती के कारण पंजाब से खरीदे जाने वाले धान और चावल की आपूर्ति का दायरा लगातार कम हो रहा है। हालांकि, उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि पंजाब और चंडीगढ़ से खरीदे गए अधिकांश गेहूँ का निपटान भारतीय खाद्य निगम द्वारा शीघ्र और प्रभावी ढंग से किया जाता है।
मनीष तिवारी ने यह वादा भी किया कि वे खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय और भारतीय खाद्य निगम के शीर्ष प्रबंधन के समक्ष यह मुद्दा उठाएंगे कि पंजाब और चंडीगढ़ के सभी रेलवे स्टेशनों पर पर्याप्त रैक उपलब्ध कराए जाएं। इसका उद्देश्य खरीदे गए अनाज की त्वरित आवाजाही और निपटान सुनिश्चित करना है।
बैठक में यह भी चर्चा हुई कि आगामी फसल के लिए पर्याप्त भंडारण और परिवहन क्षमता विकसित करना आवश्यक है, ताकि किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभ मिल सके।