Saturday, December 6, 2025
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avratri 2025 की शुरुआत 22 सितंबर से हो चुकी है। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व है। जानें मां शैलपुत्री की आराधना विधि, शुभ मुहूर्त, भोग, मंत्र और पूजा का महत्व।

नवरात्रि 2025: पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व, भोग और विशेष मंत्र

शारदीय नवरात्रि 2025 का शुभारंभ आज यानी 22 सितंबर से हो गया है। देशभर में इस पावन पर्व को लेकर भक्तों में गहरा उत्साह देखने को मिल रहा है। नवरात्रि का यह पर्व नौ दिनों तक चलता है और इसमें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दौरान घर-घर में कलश स्थापना होती है, व्रत-भजन का आयोजन होता है और वातावरण भक्तिमय हो उठता है।

पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा

नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की आराधना की जाती है। उन्हें पर्वतराज हिमालय की पुत्री कहा जाता है। उनके पूजन से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है। धार्मिक मान्यता है कि मां शैलपुत्री की कृपा से चंद्र दोष और उससे जुड़ी नकारात्मकताएं दूर हो जाती हैं।

मां शैलपुत्री का स्वरूप अत्यंत सौम्य और मनोहारी है। उन्होंने सफेद वस्त्र धारण किए हैं, जो पवित्रता का प्रतीक माने जाते हैं। उनकी सवारी वृषभ (बैल) है। दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प धारण कर वे भक्तों को शांति और शक्ति का आशीर्वाद देती हैं।

विशेष भोग और प्रसाद

मां शैलपुत्री को खुश करने के लिए दूध और चावल से बनी खीर का भोग अर्पित करना सबसे शुभ माना जाता है। इसके अतिरिक्त सफेद मिठाई और सफेद फूल अर्पित करने से माता प्रसन्न होती हैं। मान्यता है कि इस भोग से घर में सुख-समृद्धि आती है और हर प्रकार की बाधा दूर होती है।

पूजा विधि और मंत्र

पूजन के समय मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप करने से पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है।

  • मुख्य मंत्र
    “या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”

  • बीज मंत्र
    “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥”

इन मंत्रों का श्रद्धा और विश्वास से जाप करने पर मन को शांति मिलती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

घटस्थापना का महत्व और शुभ मुहूर्त

नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना से होती है। इसे शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस बार प्रतिपदा तिथि 22 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर को समाप्त होगी।
घटस्थापना का शुभ समय सुबह 6:50 बजे से 9:08 बजे तक है। वहीं, अभिजित मुहूर्त में स्थापना करने का समय 11:50 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक रहेगा।

नवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व

नवरात्रि केवल धार्मिक अनुष्ठान का पर्व नहीं है, बल्कि यह भक्ति, श्रद्धा और आध्यात्मिक शक्ति का अद्भुत संगम है। माना जाता है कि यदि इन नौ दिनों में सच्चे मन से मां दुर्गा की आराधना की जाए, तो जीवन की नकारात्मकता दूर हो जाती है और घर-परिवार में शांति और समृद्धि आती है।

पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा से भक्तों को साहस, धैर्य और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। यही कारण है कि नवरात्रि का आरंभ अत्यंत पवित्र और मंगलकारी माना जाता है।

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