आरडब्ल्यूए-एमएचसी, सेक्टर 13, मनीमाजरा रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज़, चण्डीगढ़ के साथ पंजीकृत ही नहीं है
पंजीकृत न होने बावजूद पार्कों के रखरखाव के नाम पर एमसी से फंड लेने के मुद्दे को प्रशासक के समक्ष रखेंगे : सुखविंदर सिंह
PRIYANKA THAKUR
आरडब्ल्यूए-एमएचसी, सेक्टर 13, मनीमाजरा के बारे में एक अहम खुलासा हुआ है कि ये संस्था
रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज़, चण्डीगढ़ के साथ पंजीकृत ही नहीं है। मनीमाजरा के निवासी सुखविंदर सिंह ने रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज़, चण्डीगढ़ से आरडब्ल्यूए-एमएचसी, सेक्टर 13, मनीमाजरा के बारे में कुछ जानकारी मांगी थी , जिसके जवाब में रजिस्ट्रार के कार्यालय ने लिखा है कि उक्त नाम से कोई भी संस्था उनके रिकॉर्ड में पंजीकृत नहीं है।
उल्लेखनीय है कि इस एसोसिएशन के चुनाव मामले को पहले ही सत्र न्यायालय में चुनौती दी जा चुकी है।
सुखविंदर सिंह ने रजिस्ट्रार के कार्यालय से पत्र को मीडिया में जारी करते हुए कहा है कि रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज़ के पास इस आरडब्ल्यूए-एमएचसी का पंजीकरण न होना इस आरडब्ल्यूए को फर्जी बनाता है और इसके संचालकों के फर्जीवाड़े वाली मानसिकता व कार्यप्रणाली को उजागर करता है।
एसोसिएशन द्वारा एरिया में पड़ने वाले पार्कों के रखरखाव के नाम पर नगर निगम से फंड लेने का मामला खास तौर पर उभर कर सामने आ रहा है।
सुखविंदर सिंह ने बताया कि वे जल्द इस मामले को प्रशासक के समक्ष उठाएंगे।
उन्होंने कहा कि सोसायटी अधिनियम 1860 की धारा 3 और 10 ए तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 416, 420, 468 और 471 के तहत किसी भी संस्था के पदाधिकारियों के लिए ऐसा करना दंडनीय है तथा इसके लिए जुर्माना और 3 से 7 वर्ष तक कारावास का प्रावधान है।
सुखविंदर सिंह द्वारा मामला गंभीर होने के कारण इसे चण्डीगढ़ प्रशासन से लेकर गृह मंत्रालय, नई दिल्ली के संज्ञान में लाया गया है।
उधर गलत कामों और कानूनी पचड़ों में उलझी हुई इस संस्था के पदाधिकारियों में इस खुलासे से भय व्याप्त हो गया है, व पता चला है कि आरडब्ल्यूए-एमएचसी के महासचिव ने इस्तीफा दे दिया है तथा अन्य लोग भी जल्द इस्तीफा दे सकते हैं। एमएचसी के दस हजार से अधिक निवासी तथा आरडब्ल्यूए-एमएचसी के सदस्य ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं तथा इस फर्जी आरडब्ल्यूए-एमएचसी को भंग करने तथा अपनी सदस्यता फीस वापस करने की मांग कर रहे हैं।