लंदन, 22 सितंबर: ब्रिटिश सरकार युवा और वैश्विक प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए वीजा शुल्क में कटौती या फीस वेवर पर विचार कर रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी वीजा शुल्क 88 लाख रुपये होने के बाद, ब्रिटेन ने अपने ग्लोबल टैलेंट वीजा को और अधिक आकर्षक बनाने की तैयारी शुरू कर दी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर और वित्त मंत्री रैचल रीव्स के नेतृत्व वाली ग्लोबल टैलेंट टास्कफोर्स वीजा शुल्क पूरी तरह समाप्त करने के विकल्प पर विचार कर रही है। इसका उद्देश्य दुनिया के शीर्ष वैज्ञानिकों, तकनीकी विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं को ब्रिटेन में स्थानांतरित होने के लिए प्रोत्साहित करना है। इसमें बड़ी संख्या में भारतीय वैज्ञानिक भी शामिल हैं।
ब्रिटेन सरकार ने इसी वर्ष 54 मिलियन पाउंड का ग्लोबल टैलेंट फंड शुरू किया है। इस फंड का उपयोग शोधकर्ताओं और उनकी टीमों के स्थानांतरण, आवास और अनुसंधान खर्चों के लिए किया जाएगा। सरकार ने इस फंड का उपयोग अगले पांच वर्षों तक करने की योजना बनाई है। विज्ञान मंत्री लॉर्ड पैट्रिक वलेंस और प्रधानमंत्री के बिजनेस सलाहकार वरुण चंद्रा इस टास्कफोर्स का संचालन कर रहे हैं।
सरकारी अधिकारी के अनुसार, वीजा शुल्क शून्य करने का विचार उन प्रतिभाओं के लिए किया जा रहा है जिन्होंने दुनिया के शीर्ष पांच विश्वविद्यालयों से पढ़ाई की है या अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठित पुरस्कार जीते हैं। वर्तमान में ग्लोबल टैलेंट वीजा प्रक्रिया जटिल मानी जाती है, और इसी कारण जून में टास्कफोर्स की स्थापना की गई थी। जुलाई में प्रधानमंत्री बनने के बाद कीर स्टार्मर ने वीजा प्रक्रिया को सरल बनाने का काम तेज किया है।
ब्रिटेन के व्यापार सचिव जोनाथन रेनॉल्ड्स ने कहा कि ग्लोबल टैलेंट टास्कफोर्स देश को विश्व की श्रेष्ठ प्रतिभाओं की पहली पसंद बनाएगा और नवाचार व आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा। इसके अलावा, दवाओं, नई तकनीकों और भविष्य के आविष्कारों में नवाचार को गति मिलेगी।
हालांकि, विपक्षी पार्टी रिफॉर्म यूके ने इस योजना का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने पर अनिश्चितकालीन निवास (ILR) का विकल्प समाप्त कर दिया जाएगा और पांच वर्षीय प्रक्रिया को सख्त शर्तों वाले नवीकरणीय वर्क वीजा में बदल दिया जाएगा। रिफॉर्म यूके के प्रमुख नाइजेल फराज का कहना है कि ILR पाने वालों में से आधे से अधिक लोग काम नहीं कर रहे। प्रधानमंत्री कार्यालय-डाउनिंग स्ट्रीट ने इसे अवास्तविक, अव्यवहारिक और विभाजनकारी बताते हुए खारिज कर दिया।
इस पहल के लागू होने पर ब्रिटेन को वैश्विक प्रतिभाओं के लिए एक प्रमुख केंद्र बनाने में मदद मिलेगी और देश में नवाचार, शोध और आर्थिक प्रगति को नई गति मिलेगी।