Tuesday, October 21, 2025
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सीपी राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली

नई दिल्ली, 12 सितंबर 2025
सीपी राधाकृष्णन ने शुक्रवार को भारत के नए उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक गरिमामय समारोह में 67 वर्षीय राधाकृष्णन को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस मौके पर केंद्रीय मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के जजों, सांसदों और कई गणमान्य लोगों की उपस्थिति रही।

राजग उम्मीदवार राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार और पूर्व न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों से हराया। यह चुनाव 9 सितंबर को हुआ था।


जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद हुआ चुनाव

21 जुलाई को तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उनका कार्यकाल अभी दो वर्ष बाकी था, लेकिन अचानक इस्तीफे के चलते मध्यावधि चुनाव कराना पड़ा। चुनाव आयोग ने 9 सितंबर को उपराष्ट्रपति चुनाव की तारीख तय की, जिसके बाद संसद भवन में मतदान हुआ।

चुनाव परिणाम में राधाकृष्णन को स्पष्ट बहुमत मिला और वे देश के 15वें उपराष्ट्रपति बने।


महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा

उपराष्ट्रपति चुने जाने से पहले सीपी राधाकृष्णन महाराष्ट्र के राज्यपाल थे। उपराष्ट्रपति पद संभालने से पूर्व उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया। गुरुवार को राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान में बताया गया था कि राधाकृष्णन का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है।

उनके इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का अतिरिक्त प्रभार सौंपा। अब देवव्रत गुजरात और महाराष्ट्र दोनों राज्यों के राज्यपाल की जिम्मेदारी निभाएंगे।


राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर

राधाकृष्णन लंबे समय से भारतीय राजनीति और सामाजिक कार्यों से जुड़े रहे हैं। वे भाजपा के वरिष्ठ नेता के तौर पर कई जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। राज्यपाल के तौर पर भी उन्होंने अपनी सादगी और जनता से जुड़ाव के लिए पहचान बनाई।

अब उपराष्ट्रपति बनने के बाद उनसे अपेक्षा है कि वे संसद के ऊपरी सदन, राज्यसभा की कार्यवाही को और अधिक गरिमामय और प्रभावी ढंग से संचालित करेंगे।


उपराष्ट्रपति की भूमिका और महत्व

भारत में उपराष्ट्रपति पद संवैधानिक दृष्टि से बेहद अहम है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं और सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से संचालित करना उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी होती है। इसके अलावा, राष्ट्रपति के अनुपस्थित रहने या असमर्थ होने की स्थिति में उपराष्ट्रपति कार्यकारी राष्ट्रपति की भूमिका निभाते हैं।

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