चंडीगढ़, 6 अक्टूबर 2025:Sorav Manchanda
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सेना के एक जवान की कैंसर से हुई मौत के मामले में केंद्र सरकार की अपील को खारिज करते हुए एक अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि सैन्य सेवा के दौरान लंबे समय तक झेले गए तनाव और दबाव से कैंसर जैसी बीमारी हो सकती है।
न्यायमूर्ति हरसिमरन सिंह सेठी और विकास सूरी की खंडपीठ ने केंद्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें 2019 में सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) चंडीगढ़ द्वारा मृतक की मां को विशेष पारिवारिक पेंशन देने के आदेश को चुनौती दी गई थी।
AFT ने आदेश दिया था कि कुमारी सलोचना वर्मा को उनके पुत्र की मृत्यु की तिथि से विशेष फैमिली पेंशन दी जाए। केंद्र सरकार ने इस पर आपत्ति जताई थी कि सलोचना वर्मा के बेटे को रेट्रोपेरिटोनियल सारकोमा नामक कैंसर था, जो सेना सेवा से संबंधित नहीं माना जा सकता।
अदालत ने कहा कि जब सैनिक ने 12 दिसंबर 2003 को सेना में भर्ती ली थी, तब वह पूरी तरह स्वस्थ था। उसका निधन 24 जून 2009 को हुआ। अदालत ने अपने फैसले में धरमवीर सिंह बनाम भारत सरकार (2013) के मामले का हवाला देते हुए कहा कि यदि कोई सैनिक भर्ती के समय फिट हो और बाद में बीमार पड़ जाए, तो माना जाएगा कि बीमारी सेवा के दौरान या सेवा के कारण हुई है।
हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि —
“कैंसर जैसी बीमारी एक दिन में नहीं होती। यह एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है, जिसमें लगातार तनाव और मानसिक दबाव से सामान्य कोशिकाएं घातक रूप ले सकती हैं।”
पीठ ने यह भी कहा कि केंद्र की ओर से कोई ठोस चिकित्सकीय साक्ष्य या रिकॉर्ड पेश नहीं किया गया जिससे यह साबित हो सके कि बीमारी का सैन्य सेवा से कोई संबंध नहीं था। इसलिए अदालत ने माना कि जवान की बीमारी और मृत्यु सेना सेवा से जुड़ी हुई थी।
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने केंद्र की अपील को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि मृतक की मां विशेष पारिवारिक पेंशन पाने की हकदार हैं।