सफलता की कहानी: यशस्वी सोलंकी (ADC)
“कभी रुकना नहीं, बस सीखते रहो और सुधार करते जाओ।”
लेफ्टिनेंट कमांडर यशस्वी सोलंकी भारतीय नौसेना की पहली महिला अधिकारी हैं जिन्हें भारत के राष्ट्रपति की एड-डी-कैंप (ADC) के रूप में नियुक्त किया गया है।यशस्वी सोलंकी एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनका बचपन सीमित संसाधनों में बीता, लेकिन उन्होंने कभी अपने सपनों को सीमित नहीं होने दिया। शिक्षा के प्रति गहरी लगन और देश सेवा की भावना ने उन्हें सिविल सेवा की ओर प्रेरित किया।
यशस्वी ने स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद UPSC की तैयारी शुरू की। शुरुआत में कई कठिनाइयाँ आईं – मार्गदर्शन की कमी, सीमित संसाधन, और लगातार असफलताएं। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। हर असफलता को सीख बनाकर आगे बढ़ते गए।
उनका मंत्र था: “कभी रुकना नहीं, बस सीखते रहो और सुधार करते जाओ।”
पहले प्रयास में असफल होने के बावजूद यशस्वी ने खुद पर विश्वास नहीं खोया। उन्होंने अपनी रणनीति बदली, समय का बेहतर प्रबंधन किया और जवाबों की गुणवत्ता पर ध्यान देना शुरू किया। उनके धैर्य और मेहनत ने रंग लाया और अंततः उन्होंने प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा पास की।
उनकी कार्यशैली पारदर्शिता, प्रतिबद्धता और जनसेवा से प्रेरित रही।
यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी मंज़िल मुश्किल नहीं होती। यशस्वी सोलंकी की सफलता हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो देश सेवा का सपना देखता है।