3 जनवरी 2025:
पंजाब के युवाओं में विदेश में पढ़ाई का आकर्षण कम होता जा रहा है। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूके जैसे देशों में उच्च शिक्षा के लिए जाने वाले विद्यार्थियों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। इसके विपरीत, पंजाब के कॉलेजों और तकनीकी संस्थानों में दाखिला लेने वालों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है।
कनाडा में 50% विद्यार्थियों की संख्या घटी
कनाडा की अप्लाई बोर्ड कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 के अंत तक नए स्टडी परमिट की संख्या 231,000 तक सीमित रहने की उम्मीद है, जो 2023 के 436,000 स्टडी परमिट से लगभग आधी है। 2022 में कनाडा गए 5.5 लाख विद्यार्थियों में से 2.26 लाख भारतीय थे। इनमें से 3.2 लाख विद्यार्थी कनाडा में पढ़ाई और काम करके अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे थे।
2023 और 2024 में यह संख्या घटने का प्रमुख कारण बेरोजगारी, महंगाई, और बढ़ते बैंक ब्याज दर बताए जा रहे हैं। इसके अलावा, कनाडा और भारत के बीच कूटनीतिक तनाव का असर भी छात्रों के स्टडी वीजा पर पड़ा है।
ऑस्ट्रेलिया में भी गिरावट
वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया में लगभग 1.30 लाख भारतीय विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। मार्च 2024 में ऑस्ट्रेलिया में प्रवेश के लिए आवेदन करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या 96,490 थी, जो जून 2024 में घटकर 87,600 रह गई। जनवरी 2025 तक यह आंकड़ा और कम होने की संभावना है।
ऑस्ट्रेलियन वीजा विशेषज्ञों का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया में स्थायी निवास (PR) पाना काफी कठिन है, जबकि पंजाबी युवाओं का मुख्य सपना PR हासिल करना होता है।
यूके में 16% की गिरावट
यूके के गृह कार्यालय के अनुसार, 2023 और 2024 के बीच अध्ययन वीजा के लिए आवेदनों में 16% की कमी आई है। जनवरी से अक्टूबर 2024 के बीच 359,600 अध्ययन वीजा आवेदन प्राप्त हुए, जो पिछले साल की तुलना में कम हैं। इसके साथ ही, छात्र आश्रित वीजा आवेदनों में 85% की गिरावट हुई है।
यूके वीजा विशेषज्ञ चैरी बहल का कहना है कि वहां मंदी और नौकरी की कमी के कारण युवाओं का रुझान घट रहा है।
पंजाब में कॉलेजों में बढ़ा दाखिला
पंजाब के कॉलेजों और तकनीकी संस्थानों में इस साल दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। एचएमवी कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. अजय सरीन ने बताया कि इस साल सभी सीटें भर चुकी हैं। इतिहास के प्रोफेसर कुणाल का कहना है कि कई सालों के बाद 2024 में पंजाब के कॉलेजों से सकारात्मक खबरें मिल रही हैं।
विदेश से लौट रहे पेशेवर
कनाडा में पीआर हासिल कर चुके डॉक्टर सतबीर भ्यौरा, जो अब पंजाब में अकाल आई अस्पताल चला रहे हैं, का कहना है कि कनाडा में हालात पहले जैसे नहीं रहे। वह बड़ी उम्मीदों के साथ विदेश गए थे, लेकिन अब वापस पंजाब लौट आए हैं।
पंजाब के युवा विदेश में पढ़ाई के बजाय अब स्थानीय विकल्पों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। पंजाब के कॉलेजों में बढ़ती संख्या यह संकेत देती है कि राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में नई उम्मीदें जाग रही हैं।