ग्रिड ने सेवा पखवाड़ा के तहत विद्यालय प्राचार्यों एवं सीडब्ल्यूएसएन इंचार्ज़ के लिए जागरूकता कार्यक्रम किया आयोजित
चंडीगढ़, 01 अक्टूबर 2025 – गवर्नमेंट रिहैबिलिटेशन इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलेक्चुअल डिसएबिलिटीज़ (GRIID) ने सामाजिक कल्याण विभाग, यूटी चंडीगढ़ के सौजन्य से सेवा पखवाड़ा के अवसर पर एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य सामान्य विद्यालयों के प्राचार्यों, काउंसलरों और चिल्ड्रेन विद स्पेशल नीड्स (CWSN) इंचार्ज़ को बौद्धिक दिव्यांग बच्चों के निदान, चिकित्सीय सहयोग और विभिन्न सरकारी रियायतों से अवगत कराना था।
कार्यक्रम में प्रतिभागियों की उपस्थिति
इस जागरूकता सत्र में चंडीगढ़ के विभिन्न सरकारी एवं निजी विद्यालयों से लगभग 30 प्राचार्यों, सीडब्ल्यूएसएन इंचार्ज़ और काउंसलरों ने भाग लिया। प्रतिभागियों को न केवल सैद्धांतिक जानकारी दी गई, बल्कि उन्हें व्यवहारिक रूप से यह भी समझाया गया कि बौद्धिक दिव्यांग बच्चों के साथ विद्यालय स्तर पर किस प्रकार समावेशी शिक्षा प्रणाली लागू की जा सकती है।
बौद्धिक दिव्यांगता और संबंधित स्थितियों पर चर्चा
इस अवसर पर विशेषज्ञों ने बौद्धिक दिव्यांगता, ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD), अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) और अन्य संबद्ध स्थितियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। विशेष रूप से इस बात पर बल दिया गया कि ऐसे बच्चों की पहचान शुरुआती अवस्था में होनी चाहिए, ताकि उन्हें सही समय पर चिकित्सीय सहायता और विशेष शिक्षा प्रदान की जा सके।
डॉ. रीना जैन का विशेषज्ञ सत्र
कार्यक्रम के दौरान डॉ. रीना जैन ने बौद्धिक दिव्यांग बच्चों के निदान एवं चिकित्सीय सहयोग पर एक महत्वपूर्ण सत्र लिया। उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के इंटरवेंशन और रणनीतियाँ उपलब्ध हैं, जिन्हें अपनाकर उनकी शिक्षा और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विद्यालय स्तर पर विशेष शिक्षकों और काउंसलरों की भूमिका बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने और उन्हें सामान्य विद्यार्थियों की तरह अवसर प्रदान करने में अहम होती है।
दिव्यांगजन के अधिकार और रियायतें
वरिष्ठ विशेष शिक्षक श्री अनिल कुमार ने अपने सत्र में दिव्यांगजन (PWDs) के अधिकारों, सरकारी रियायतों और उपलब्ध सुविधाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने प्रतिभागियों को यह भी बताया कि संबंधित प्राधिकरणों से सहायता प्राप्त करने की प्रक्रिया किस प्रकार होती है और विद्यालय इन योजनाओं का लाभ छात्रों तक कैसे पहुँचा सकते हैं। इस सत्र में विशेष रूप से समावेशी शिक्षा नीति पर चर्चा की गई, जिसके अंतर्गत हर बच्चे को समान अवसर और सुविधाएँ प्रदान करना विद्यालय की जिम्मेदारी है।
समापन और धन्यवाद प्रस्ताव
कार्यक्रम का समापन धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ, जिसे ऑफिशिएटिंग प्रिंसिपल श्रीमती वंदना सिंह ने प्रस्तुत किया। उन्होंने इस आयोजन को सफल बनाने में योगदान देने वाले सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। अंत में कोर्स कोऑर्डिनेटर श्री करुप्पासामी, डॉ. रीना जैन, श्रीमती वंदना सिंह और श्री अनिल कुमार ने मिलकर प्रतिभागियों द्वारा उठाए गए सभी प्रश्नों का उत्तर दिया।
प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया
कार्यक्रम में शामिल सभी प्राचार्यों और काउंसलरों ने इसे अत्यंत लाभकारी बताया। उनका कहना था कि इस प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम विद्यालयों में समावेशिता और संवेदनशीलता को बढ़ावा देने में बहुत सहायक होते हैं। कई प्रतिभागियों ने कहा कि वे अब अपने-अपने विद्यालयों में बौद्धिक दिव्यांग बच्चों के लिए अधिक सहयोगी वातावरण बनाने पर विशेष ध्यान देंगे।
निष्कर्ष
यह जागरूकता कार्यक्रम केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह एक ऐसा प्रयास था जिसने विद्यालयों को बौद्धिक दिव्यांग बच्चों के प्रति अधिक जागरूक, जिम्मेदार और संवेदनशील बनने की दिशा में प्रेरित किया। GRIID द्वारा आयोजित यह पहल चंडीगढ़ में समावेशी शिक्षा और विशेष बच्चों के अधिकारों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भविष्य में इस प्रकार के कार्यक्रमों से न केवल शिक्षण संस्थाओं को बल मिलेगा, बल्कि दिव्यांग बच्चों के जीवन स्तर को भी बेहतर बनाने में सहायता मिलेगी।