नई जीएसटी दरों का गरीब एवं मध्यम वर्ग को सबसे ज्यादा होगा लाभ: मंत्री कृष्ण लाल पंवार
चंडीगढ़, 24 सितंबर– हरियाणा के विकास एवं पंचायत मंत्री श्री कृष्ण लाल पंवार ने आज चरखी-दादरी शहर के विभिन्न व्यापारिक संस्थानों पर जाकर नई जीएसटी दरों को लेकर व्यापारियों से चर्चा की। उन्होंने ग्राहकों से भी बात की और नई जीएसटी दरों से कीमतों में आई कमी पर उन्हें बधाई दी।
इससे पहले मंत्री श्री कृष्ण लाल पंवार ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जीएसटी की दरों को घटा कर ऐतिहासिक फैसला लिया गया है। इसका सबसे ज्यादा फायदा देश के गरीब एवं मध्यम वर्ग को होगा। इस बदलाव से एक ओर जहां रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों में कमी हुई है, वहीं दूसरी ओर छोटे उपकरण व वाहनों की कीमत भी कम हुई है। जिन लोगों ने वाहन बुक किए थे, अब उन्हें वही वाहन कम कीमत पर मिल रहे हैं। इसके लिए लोगों ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आभार भी व्यक्त किया है।
उन्होंने बताया कि नई व्यवस्था के तहत जीएसटी स्लैब्स को सरल करते हुए अब मुख्य रूप से कुछ सामान को 0 प्रतिशत श्रेणी में भी लाया गया है, यानी वे पूरी तरह से कर मुक्त होंगी। इसके अलावा मुख्यत दो जीएसटी स्लैब्स 5 प्रतिशत व 18 प्रतिशत बनाए गए हैं। पहले लागू 12 प्रतिशत व 28 प्रतिशत स्लैब को पूर्णत समाप्त कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि दैनिक उपयोग की कई वस्तुओं और सेवाओं को पूरी तरह जीएसटी से मुक्त कर दिया गया है। इनमें दूध, रोटी-पराठा जैसे भारतीय ब्रेड्स, व्यक्तिगत जीवन व स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी, प्राथमिक स्टेशनरी, नोट्स बुक, मैप, चार्ट व जीवन रक्षक दवाएं शामिल हैं। इन वस्तुओं पर अब उपभोक्ताओं को कोई कर नहीं देना होगा।
क्रमांक-2025
मेक इन हरियाणा इंडस्ट्रियल पॉलिसी 2025 से रखी जाएगी प्रदेश को वन ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने की मजबूत नींव : राव नरबीर सिंह
उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री राव नरबीर सिंह की अध्यक्षता में गुरुग्राम में मेक इन हरियाणा इंडस्ट्रियल पॉलिसी 2025 को लेकर हितधारकों के साथ चर्चा
उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री ने कहा, मेक इन हरियाणा इंडस्ट्रियल पॉलिसी 2025 से प्रदेश में आएगा पांच लाख करोड़ से अधिक का निवेश और रोजगार के 10 लाख नए अवसर होंगे पैदा
उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के सचिव एवं आयुक्त डॉ. अमित कुमार अग्रवाल ने हितधारकों को नई पॉलिसी के प्रावधानों की दी जानकारी, उद्योग जगत ने भी नई नीति में मिलने वाली सुविधाओं और इंसेंटिव को लेकर की सरकार की सराहना
चंडीगढ़, 24 सितंबर – हरियाणा के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री राव नरबीर सिंह ने कहा कि हरियाणा को वर्ष 2047 तक एक ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए “मेक इन हरियाणा इंडस्ट्रियल पॉलिसी-2025” एक मजबूत नींव होगी। इस पॉलिसी से प्रदेश में पांच लाख करोड़ रुपए निवेश तथा रोजगार के 10 लाख नए अवसर पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने यह बात बुधवार को गुरुग्राम के ग्रैंड हयात होटल में हितधारकों के साथ इस पॉलिसी के प्रावधानों को लेकर परामर्श बैठक को संबोधित करते हुए कही।
उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के वर्ष 2047 में विकसित भारत के संकल्प में हरियाणा एक प्रमुख भागीदार राज्य होगा। भारत को आत्मनिर्भर और विकसित बनाने में उद्योग जगत की प्रमुख भूमिका होगी। सरकार आपके हितों को लेकर बेहद सजग है। ऐसे में आप भी बाजार के अनुकूल अच्छे व सस्ते प्रोडक्ट तैयार करें ताकि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में हमारे प्रोडक्ट पीछे न रहे।
राव नरबीर सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी भी औद्योगिक विकास को प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिबद्ध है। उद्योग जगत आगे बढ़ेगा तो देश भी आगे बढ़ेगा। सरकार आपको सभी सुविधाएं उपलब्ध कराएगी। आज की बैठक में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने जो भी सुझाव रखे है। उनका अध्ययन करवाकर सभी आवश्यक सुझावों को नई नीति में शामिल किया जाएगा। उद्योगपतियों की सुविधा के लिए सभी औद्योगिक क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं व अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा। इससे पहले मंत्री ने उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने “मेक इन हरियाणा इंडस्ट्रियल पॉलिसी 2025” में मिलने वाली सुविधाओं व इंसेंटिव को लेकर हरियाणा सरकार की प्रशंसा की और अपने सुझाव भी दिए। उद्योग जगत द्वारा रखे गए सुझावों को ध्यानपूर्वक सुना और अधिकारियों से चर्चा कर उन्हें नीति में शामिल करने के निर्देश दिए।
‘कॉस्ट ऑफ डूइंग बिजनेस‘ कम करने में सहायक होगी हरियाणा की नई औद्योगिक पॉलिसी : डॉ अमित अग्रवाल
उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के आयुक्त एवं सचिव डॉ अमित कुमार अग्रवाल ने परामर्श बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार अब केवल ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि ‘कॉस्ट ऑफ डूइंग बिजनेस’ कम करने और ‘राइट टू बिजनेस’ जैसी अवधारणाओं को भी आगे बढ़ाएगी। उन्होंने कहा कि यह नीति हरियाणा को आने वाले वर्षों में देश का सबसे आकर्षक और प्रतिस्पर्धी निवेश गंतव्य बनाएगी। नई नीति केवल वित्तीय प्रोत्साहनों तक सीमित नहीं है, बल्कि उद्योगों को एक सक्षम इकोसिस्टम उपलब्ध कराने पर केंद्रित है। सरकार ने व्यवसाय करने में आने वाली 23 प्रमुख बाधाओं की पहचान कर ली है और 31 दिसंबर तक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, श्रम एवं शहरी नियोजन से जुड़ी रुकावटों को दूर करने का लक्ष्य रखा है। साथ ही ब्लॉक ए और बी दोनों क्षेत्रों को समान अवसर दिए जाएंगे, ताकि निवेश पूरे राज्य में संतुलित रूप से बढ़ सके।
डॉ अमित अग्रवाल ने बताया कि हरियाणा की जीडीपी पिछले 10 वर्षों में लगभग 11% की दर से बढ़ी है, जो राष्ट्रीय औसत से 3–4% अधिक है। राज्य प्रति व्यक्ति जीएसटी संग्रह में देश में सबसे आगे है और अपने खर्च का 80% खुद अर्जित करने वाला सबसे आत्मनिर्भर राज्य है। उन्होंने कहा कि सरकार एक एआई-आधारित पोर्टल अगले दो महीनों में लॉन्च करने जा रही है, जिससे उद्योगों के लिए लाभ और सेवाओं का सरल, पारदर्शी व प्रभावी उपयोग संभव होगा। नई नीति में ओपेक्स और कैपेक्स आधारित लचीले प्रोत्साहन, 15–16 क्षेत्रों के लिए सेक्टोरल नीतियां तथा अल्ट्रा मेगा और मेगा परियोजनाओं के लिए स्पष्ट पैकेज शामिल किए गए हैं।
नई नीति को बनाया गया है और अधिक लचीला व गतिशील : डॉ यश गर्ग
उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के महानिदेशक डॉ. यश गर्ग ने कहा कि नई औद्योगिक नीति ‘मेक इन हरियाणा 2025’ केवल एक औपचारिक कदम नहीं बल्कि एक महत्वपूर्ण संवाद है। वैश्विक परिदृश्य में आत्मनिर्भरता बेहद जरूरी है, इसके लिए नई इंडस्ट्री की स्थापना, नवाचार, वैश्विक प्रतिस्पर्धा और वैल्यू चेन इंटीग्रेशन को बढ़ावा दिया जाएगा। डॉ गर्ग ने कहा कि हरियाणा में पॉलिसी 2020 के माध्यम से राज्य में पर्याप्त निवेश आया और उद्योगों का उल्लेखनीय विस्तार हुआ। लेकिन बदलते समय और वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए औद्योगिक संस्थानों के साथ विस्तृत चर्चा के उपरांत नई नीति को और अधिक लचीला, गतिशील और टिकाऊ बनाया गया है। डॉ. गर्ग ने स्पष्ट किया कि हरियाणा सरकार केवल एक रेगुलेटर की भूमिका नहीं निभाना चाहती, बल्कि उद्योगों की सहयोगी एवं फैसिलिटेटर के रूप में कार्य करना चाहती है। उन्होंने कहा कि सरकार और उद्योगों के संयुक्त प्रयास से ही हरियाणा को औद्योगिक रूप से देश का अग्रणी राज्य बनाया जा सकेगा और वैश्विक स्तर पर यहाँ के उत्पाद अपनी पहचान स्थापित कर सकेंगे।
क्रमांक-2025
जे.सी. बोस विश्वविद्यालय के दो शोधकर्ता विश्व के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की सूची में शामिल
चंडीगढ़ , 24 सितंबर – जे.सी. बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के दो शोधकर्ताओं डॉ. दीपांश शर्मा और डॉ. योगेंद्र आर्य को स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विश्व के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की प्रतिष्ठित सूची में शामिल किया गया हैं। यह सूची स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय और प्रमुख वैज्ञानिक प्रकाशक एल्सेवियर द्वारा किए गए विषय-वार बिब्लियोमेट्रिक विश्लेषण का परिणाम है।
कुलपति प्रो. राजीव कुमार ने दीपांश शर्मा और डॉ. योगेंद्र आर्य को उनकी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी और कहा, “यह उपलब्धि हमारे प्राध्यापकों के उच्च-गुणवत्ता वाले शोध और वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के साथ उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को दर्शाती है। यह हमारे छात्रों और शोधकर्ताओं को उत्कृष्ट शोध के लिए प्रेरित करेगा।”
डॉ. योगेंद्र आर्य, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर है जिनके पास इलेक्ट्रिकल पावर सिस्टम में 15 वर्षों से अधिक का अनुभव है और प्रतिष्ठित शोध पत्रिकाओं में उनके 70 पत्र प्रकाशित हुए हैं।
डॉ. दीपांश शर्मा, लाइफ साइंसेज विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर है, जिनके पास माइक्रोबायोलॉजी में 10 वर्षों से अधिक का अनुभव है और उन्होंने 65 से अधिक शोध पत्र और आठ पुस्तकें प्रमुख वैज्ञानिक प्रकाशकों के साथ प्रकाशित की हैं।
क्रमांक -2025
जंगबीर सिंह
हरियाणा में 100 से अधिक मंडियों में खरीफ दलहन और तिलहन की खरीद शुरू
मुख्य सचिव ने की खरीद तैयारियों और उत्पादन की समीक्षा
मूंग उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि: क्षेत्रफल 1.47 लाख एकड़ और पैदावार 400 किग्रा प्रति एकड़ तक पहुंची
चंडीगढ़, 24 सितम्बर- हरियाणा के मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी ने आज विपणन सीजन 2025-26 के लिए खरीफ दलहन और तिलहन खरीद की तैयारियों एवं उत्पादन की समीक्षा की। राज्य सरकार द्वारा 100 से अधिक मंडियों में खरीद का शेड्यूल तय किया गया है और फसलवार मंडियों को नामित किया गया है।
निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, मूंग की खरीद 23 सितम्बर से 15 नवम्बर तक 38 मंडियों में की जाएगी। अरहर की खरीद दिसंबर में 22 मंडियों और उड़द की खरीद 10 मंडियों में होगी। मूंगफली की खरीद 1 नवम्बर से 31 दिसम्बर तक 7 मंडियों में होगी, जबकि तिल की खरीद दिसंबर में 27 मंडियों में की जाएगी। सोयाबीन और रामतिल या काला तिल की खरीद अक्टूबर-नवम्बर में क्रमशः 7 और 2 मंडियों में होगी।
समीक्षा बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसानों को खरीद प्रक्रिया में किसी भी तरह की असुविधा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने समय पर खरीद पर बल देते हुए कहा कि मंडियों में पर्याप्त भंडारण सुविधाएं और बोरियों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रधान सचिव श्री पंकज अग्रवाल ने बताया कि मूंग का क्षेत्रफल 2024-25 के 1.09 लाख एकड़ से बढ़कर 2025-26 में 1.47 लाख एकड़ हो गया है। पैदावार भी 300 किलोग्राम प्रति एकड़ से बढ़कर 400 किलोग्राम प्रति एकड़ तक पहुंच गई है। इसके परिणामस्वरूप मूंग का उत्पादन 32,715 मीट्रिक टन से बढ़कर 58,717 मीट्रिक टन तक होने का अनुमान है। अरहर एवं उड़द में भी क्षेत्रफल और उत्पादकता दोनों में सुधार हुआ है। वहीं तिल की खेती 800 एकड़ से बढ़कर 2,116 एकड़ तक पहुंच गई है और उत्पादन लगभग 446 मीट्रिक टन तक पहुंचने की संभावना है।
बैठक में सहकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री विजयेंद्र कुमार, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के प्रधान सचिव श्री डी. सुरेश, कृषि निदेशक श्री राजनारायण कौशिक तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।