सार
तहव्वुर राणा ने सुप्रीम कोर्ट में आपात समीक्षा याचिका खारिज होने के बाद अब एक बार फिर अमेरिका के चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स को आवेदन भेजा। इसमें राणा ने उनसे अपने प्रत्यर्पण को रोकने की अपील की। हालांकि, चीफ जस्टिस ने उसकी मांग को ठुकरा दिया। इसके बाद उसके भारत आने का रास्ता साफ हो गया।
विस्तार
अमेरिका में जिस मामले में दोषी पाया गया राणा, वह भारत के केस से कितना अलग?
अमेरिका में हेडली-राणा दोनों पर दर्ज मामलों में सुनवाई हुई। यहां हेडली ने कोर्ट में कई खुलासे किए। हेडली ने बताया कि डेनमार्क में डेनिश अखबार पर हमले के लिए तहव्वुर राणा ने ही उसके दौरे को मंजूरी दी थी। वह डेनमार्क में राणा की फर्म से ही आव्रजन कानून केंद्र का प्रतिनिधि बन कर गया था। इसके लिए राणा ने हेडली के बिजनेस कार्ड छपवाए थे। हालांकि, अल-कायदा की तरफ से ‘मिक्की माउस प्रोजेक्ट’ कोडनेम वाले जिलेंड्स-पोस्टेन अखबार पर हमले को अंजाम नहीं दिया जा सका। हेडली-राणा पर अखबार के कर्मचारियों पर हमले और पास ही एक यहूदी पूजास्थल को निशाना बनाने के लिए साजिश रचने के आरोप लगे थे।
यह तब हुआ, जब डेविड हेडली ने दोनों मामलों में अभियोजकों को खुलकर तहव्वुर राणा के खिलाफ सबूत दिए थे। हालांकि, राणा के वकीलों का कहना था कि डेविड हेडली झूठ बोलकर बच निकलने में माहिर रहा है। उसने कई पुराने दोस्तों को आपराधिक मामलों में फंसाया और खुद कम सजा के साथ बच निकला।