Thursday, May 22, 2025
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Tahawwur Rana Extradited: भारत में तहव्वुर राणा के साथ क्या होगा, कहां रखा जाएगा; सरकार की क्या तैयारी, जानें

सार

 

तहव्वुर राणा ने सुप्रीम कोर्ट में आपात समीक्षा याचिका खारिज होने के बाद अब एक बार फिर अमेरिका के चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स को आवेदन भेजा। इसमें राणा ने उनसे अपने प्रत्यर्पण को रोकने की अपील की। हालांकि, चीफ जस्टिस ने उसकी मांग को ठुकरा दिया। इसके बाद उसके भारत आने का रास्ता साफ हो गया।

 

विस्तार

 

भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई पर 2008 में हुए आतंकी हमलों की साजिश रचने वाला तहव्वुर राणा किसी भी वक्त भारत पहुंच सकता है। भारत पिछले 17 वर्षों से राणा और उसके साथी डेविड कोलमैन हेडली के प्रत्यर्पण की कोशिश में लगा था। हेडली के मामले में भारत को फिलहाल खास सफलता नहीं मिली है, लेकिन तहव्वुर राणा के मामले में अमेरिका की निचली अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के दावों को मानते हुए उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी।

ऐसे में यह जानना अहम है कि तहव्वुर राणा का 2008 मुंबई हमलों में नाम कैसे आया था? अमेरिका में उस पर जो मामला चला, वह किस अपराध को लेकर था? भारत प्रत्यर्पण से बचने के लिए उसने कब-क्या किया और कहा? इसके अलावा अब भारत में राणा के साथ क्या-क्या होगा? आइये जानते हैं…

2008 के मुंबई आतंकी हमलों में नाम क्यों आया?
दावा है कि तहव्वुर राणा ने अपनी कंसल्टेंसी फर्म्स में डेविड हेडली को भी नौकरी दी। इसी फर्म की मुंबई शाखा के काम के लिए डेविड हेडली मुंबई आया था और यहां लश्कर-ए-तयैबा के आतंकी हमलों की तैयारी के लिए मुंबई में ताज महल होटल और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस जैसी प्रमुख जगहों की रेकी की थी।

जांचकर्ताओं का मानना है कि तहव्वुर राणा ने कंसल्टेंसी फर्म की आड़ में ही डेविड हेडली से रेकी का पूरा काम कराया। साल 2008 में मुंबई में पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने घुसकर शहरभर में हमले किए थे। इन बर्बर हमलों में छह अमेरिकी नागरिकों और कुछ यहूदियों समेत 166 लोग मारे गए थे।

अमेरिका में पूछताछ के दौरान हेडली ने अभियोजकों को मुंबई हमले की साजिश की पूरी जानकारी दी। इसके मुताबिक…

अमेरिका में जिस मामले में दोषी पाया गया राणा, वह भारत के केस से कितना अलग?
अमेरिका में हेडली-राणा दोनों पर दर्ज मामलों में सुनवाई हुई। यहां हेडली ने कोर्ट में कई खुलासे किए। हेडली ने बताया कि डेनमार्क में डेनिश अखबार पर हमले के लिए तहव्वुर राणा ने ही उसके दौरे को मंजूरी दी थी। वह डेनमार्क में राणा की फर्म से ही आव्रजन कानून केंद्र का प्रतिनिधि बन कर गया था। इसके लिए राणा ने हेडली के बिजनेस कार्ड छपवाए थे। हालांकि,  अल-कायदा की तरफ से ‘मिक्की माउस प्रोजेक्ट’ कोडनेम वाले जिलेंड्स-पोस्टेन अखबार पर हमले को अंजाम नहीं दिया जा सका। हेडली-राणा पर अखबार के कर्मचारियों पर हमले और पास ही एक यहूदी पूजास्थल को निशाना बनाने के लिए साजिश रचने के आरोप लगे थे।

चौंकाने वाली बात यह है कि अमेरिका में साल 2011 में राणा पर अमेरिका में दोनों मामलों में मुकदमा चलाया गया और उसे डेनिश अखबार पर हमला करने की साजिश में पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को मदद पहुंचाने का दोषी ठहराया गया। हालांकि, कई सबूत होने के बावजूद अमेरिकी जिला अदालत की जूरी ने उसे मुंबई हमलों में शामिल होने के आरोप से बरी कर दिया। जनवरी 2013 में राणा को संघीय जेल में 14 साल की सजा सुनाई गई, इसके बाद उसे पांच साल तक निगरानी में रखने का निर्देश दिया गया।

यह तब हुआ, जब डेविड हेडली ने दोनों मामलों में अभियोजकों को खुलकर तहव्वुर राणा के खिलाफ सबूत दिए थे। हालांकि, राणा के वकीलों का कहना था कि डेविड हेडली झूठ बोलकर बच निकलने में माहिर रहा है। उसने कई पुराने दोस्तों को आपराधिक मामलों में फंसाया और खुद कम सजा के साथ बच निकला।

भारत न भेजे जाने के लिए क्या-क्या कहा/किया?

  • तहव्वुर राणा ने सुप्रीम कोर्ट में आपात समीक्षा याचिका खारिज होने के बाद अब एक बार फिर अमेरिका के चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स को आवेदन भेजा। इसमें राणा ने उनसे अपने प्रत्यर्पण को रोकने की अपील की। हालांकि, चीफ जस्टिस ने उसकी मांग को ठुकरा दिया।
  • लॉस एंजेलिस के मेट्रोपोलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद राणा ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में खुद के खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग की थी। उसने कहा था कि उसे कई बार हार्ट अटैक आ चुका है।
  • इसके अलावा उसने खुद के पार्किन्सन से ग्रसित होने की दलील भी दी थी। उसके ब्लैडर पर मांस के बढ़ने की रिपोर्ट्स हैं, जो कि ब्लैडर कैंसर हो सकता है। उसने खुद को किडनी की बीमारी से पीड़ित बताया था। उसे कई बार कोरोनावायरस संक्रमण हो चुका है और दमे की शिकायत भी है।

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में उसने कहा कि वह पाकिस्तानी मूल का मुस्लिम है, इसलिए भारत में उसे टॉर्चर किया जा सकता है, जो कि बेहद कम समय में उसकी जान ले सकता है। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 26/11 हमले के आरोपी के प्रत्यर्पण पर मुहर लगा चुके हैं। ऐसे में तहव्वुर राणा को सरकारी मदद मिलने की संभावना कम है। भारत ने भी उसके प्रत्यर्पण की संभावना को देखते हुए तैयारियां शुरू कर दी हैं।

भारत में तहव्वुर राणा को लेकर क्या-क्या तैयारियां?

  • राणा को भारत ला कर एनआईए की अदालत में पेश किया जाएगा। एनआईए पूछताछ के लिए अदालत से उसकी हिरासत मांगेगी। इसके साथ ही भारत में राणा के खिलाफ मुंबई आतंकी हमला मामले में न्यायिक प्रक्रिया की शुरुआत होगी।
  • महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने फरवरी में संकेत दिए थे कि तहव्वुर राणा को उसी जेल में रखा जाएगा, जहां 26/11 हमले को अंजाम देने वाले आतंकी अजमल कसाब को रखा गया था।

  • दूसरी तरफ दिल्ली के तिहाड़ जेल प्रशासन ने भी तहव्वुर राणा के लिए उच्च सुरक्षा वाला जेल वार्ड बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि, राणा को कहां रखा जाएगा इस पर अंतिम फैसला गृह मंत्रालय लेगा।
  • अमेरिकी अदालत में अपने बचे हुए मौकों को खत्म करने के बाद राणा को ट्रंप सरकार की तरफ से प्रत्यर्पित कर दिया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसकी जानकारी मिलते ही एनआईए की एक टीम उसे लेने के लिए रवाना हुई। इसमें आईजी-डीआईजी और दो जूनियर अधिकारी के शामिल होने की बात सामने आई है।
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