पश्चिमी कमान बाढ़ राहत अभियानों की अग्रिम पंक्ति में – जम्मू, पंजाब और हिमाचल में सेना की तत्परता
भारतीय सेना की पश्चिमी कमान ने जम्मू, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में व्यापक राहत एवं बचाव अभियान शुरू किए हैं। इन अभियानों में त्वरित प्रतिक्रिया, बेहतरीन तैयारी और नागरिक प्रशासन के साथ उत्कृष्ट समन्वय देखने को मिला।
16–17 अगस्त 2025 से ही स्थिति का आकलन कर सेना ने इंजीनियर टुकड़ियाँ, चिकित्सा दल, संचार साधन और हवाई संसाधन तुरंत तैनात कर दिए। बाढ़ राहत कॉलम पहले से प्रशिक्षित और पूरी तरह तैयार थे, जिन्हें नागरिक प्रशासन के अनुरोध पर प्रभावित क्षेत्रों में भेजा गया। भारतीय सेना के साथ-साथ वायुसेना ने भी लगातार उड़ानें भरकर फंसे लोगों को सुरक्षित निकाला और आवश्यक सामग्री पहुँचाई।
भाखड़ा नांगल और रंजीत सागर जैसे प्रमुख जलाशयों में जलस्तर की निगरानी हेतु सभी मुख्यालयों में फ्लड कंट्रोल एवं वाटर लेवल मॉनिटरिंग सेल स्थापित किया गया है। सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के साथ मिलकर राहत कार्य कर रही है ताकि समय पर सहायता और संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित हो सके।
अब तक 47 सेना कॉलम राहत कार्यों में लगाए जा चुके हैं, जिनमें इंजीनियर, चिकित्सा और संचार दल शामिल हैं। 20 हेलीकॉप्टर—एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर, एमआई-17, चिनूक और अन्य—लगातार मिशन पर हैं। इनके माध्यम से 5,000 से अधिक नागरिकों और 300 अर्धसैनिक बलों को सुरक्षित निकाला गया है। साथ ही 21 टन राहत सामग्री, जैसे खाद्य पैकेट और दवाइयाँ, प्रभावित गाँवों तक पहुँचाई गई हैं।
27 अगस्त को सेना की संचार टीम ने 2 किमी से अधिक ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाकर मोबाइल नेटवर्क बहाल किया। वहीं 29 अगस्त को इंजीनियरों ने जम्मू तवी पर केवल 12 घंटे में बेली ब्रिज बनाकर आवागमन बहाल किया।
रावी और चिनाब नदियों के किनारे बसे गाँवों में बाढ़ आने से सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बनी। ऐसे क्षेत्रों से सेना, बीएसएफ और नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया और पर्याप्त बल तैनात किए गए।
30 अगस्त 2025 को पश्चिमी कमान के आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार (PVSM, UYSM, AVSM) ने अग्रिम क्षेत्रों का दौरा किया, राहत कार्यों की समीक्षा की और सैनिकों व प्रशासन की सराहना की।
भारतीय सेना की पश्चिमी कमान ने आश्वस्त किया है कि Service Before Self की भावना के साथ वह हर परिस्थिति में नागरिकों और प्रशासन के साथ खड़ी रहेगी। फंसे हुए लोगों को बचाना, सेवाओं को बहाल करना और प्रभावित इलाकों में सामान्य स्थिति लौटाना ही सेना का संकल्प है।