Saturday, December 7, 2024
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पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक ने किया 14वें राष्ट्रीय शिल्प मेले का उद्घाटन।

पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक ने किया 14वें राष्ट्रीय शिल्प मेले का उद्घाटन।

पंजाब के गवर्नर और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने नगाड़ा बजाकर की  शुरुआत ।

भारतीय संस्कृति और शिल्प के अद्वितीय संगम का उत्सव, 600 से अधिक शिल्पकारों और लोक कलाकारों का समागम।

Priyanka Thakur

चंडीगढ़, 29 नवंबर:पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक श्री गुलाब चंद कटारिया ने आज चंडीगढ़ के पारंपरिक शिल्प मेले का उद्घाटन नगाड़ा बजाकर किया, जो भारतीय संस्कृति और शिल्पकला के अद्वितीय संगम को प्रदर्शित करता है। यह मेला उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र और चंडीगढ़ प्रशासन के संयुक्त प्रयास से आयोजित किया गया है, जिसमें देशभर के 22 राज्यों से 600 से अधिक शिल्पकार और लोक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। इस मेले का उद्देश्य भारतीय शिल्प और संस्कृति को संरक्षित और प्रमोट करना है, और इसे एक ऐसा मंच प्रदान करना है, जहां कलाकार अपनी कला को दुनिया के सामने ला सकें।

उद्घाटन समारोह के दौरान राज्यपाल ने अपने संबोधन में मेले के महत्व को रेखांकित किया और इसे भारतीय संस्कृति और परंपरा का जीवंत प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “भारत का हर क्षेत्र अपनी विशिष्ट कला, शिल्प और परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। यह मेला देशभर के शिल्पकारों और कलाकारों को एक मंच पर लाता है, जिससे न केवल उनकी कला को पहचान मिलती है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर को भी सहेजने का एक अद्भुत प्रयास है। यहां पर प्रदर्शित हस्तशिल्प और लोक कला हमारी सामूहिक पहचान का प्रतीक हैं और इनसे ही भारतीय संस्कृति का विकास हुआ है।”

 

राज्यपाल ने विशेष रूप से बंधेज, मधुबनी चित्रकला, जरी-जरदोजी और लकड़ी पर नक्काशी जैसी पारंपरिक कला रूपों की सराहना की और उन्हें भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा बताया। उन्होंने कहा, “ये कृतियां न केवल उपयोगी हैं, बल्कि भारतीय समाज की सांस्कृतिक पहचान को भी सशक्त बनाती हैं। इनसे न केवल हमारी शास्त्रीय कलाओं का विकास हुआ है, बल्कि ये हमारे दैनिक जीवन के अभिन्न अंग भी हैं।”

 

राज्यपाल ने कुटीर उद्योगों की महत्ता पर भी जोर दिया, जो ग्रामीण और अर्ध-ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के महत्वपूर्ण साधन हैं। उन्होंने कहा कि इन उद्योगों के माध्यम से न केवल परिवारों का भरण-पोषण होता है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है।

 

राज्यपाल ने यह भी कहा कि ऐसे आयोजन न केवल कलाकारों को प्रोत्साहन देते हैं, बल्कि दर्शकों को भारतीय कला, संस्कृति और शिल्प के बारे में जागरूक करते हैं। उन्होंने युवा पीढ़ी से आह्वान किया कि वे अपनी संस्कृति को जानें, समझें और उसे संरक्षित करने में भागीदारी निभाएं।

 

श्री कटारिया ने  कहा, “भारतीय कला और शिल्प न केवल हमारे सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक हैं, बल्कि ये हमारे समृद्ध इतिहास और विविधता का साक्षात्कार भी कराती हैं। इस मेले के माध्यम से हम अपनी कला को पुनः जीवित करते हैं और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं।”

 

मेले के विशेष आकर्षणों में पत्थरों पर उकेरी गई 12 राशियों की अद्भुत कलाकृतियां, ललित कला अकादमी की प्रदर्शनी, और पंजाब के गांवों का चित्रण शामिल थे, जो दर्शकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बने। राज्यपाल ने कहा, “इस वर्ष, मेले में प्रस्तुत की गई कलाकृतियां न केवल दर्शकों को एक नयी कला दृष्टि प्रदान करती हैं, बल्कि हमारे संस्कृति की गहरी जड़ों से भी जोड़े रखती हैं। बच्चों और युवाओं के लिए ललित कला अकादमी की प्रदर्शनी एक विशेष अनुभव बनकर उभरी है।”

 

लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम और विभिन्न राज्यों के पारंपरिक व्यंजन भी मेले का अहम हिस्सा रहे, जो दर्शकों को भारतीय संस्कृति की विविधता से परिचित कराते हैं।

 

उद्घाटन समारोह के दौरान लोक कला साधक (लाइफटाइम अचीवमेंट) अवार्ड भी प्रदान किए गए। लोक नृत्य श्रेणी में राजस्थान की तेरहताल कलाकार दुर्गा देवी और हिमाचल प्रदेश के बालक राम ठाकुर को यह पुरस्कार दिया गया। वहीं, लोक संगीत के क्षेत्र में पंजाब के देस राज लचकानी और जम्मू-कश्मीर की गुजरी गायिका बेगम जान को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया। इन चारों कलाकारों को 2.5 लाख रुपये का चेक, सम्मान पत्र और शॉल भेंट किए गए।

 

इसके साथ ही, मेले में पहली बार दो युवा अवॉर्ड भी दिए गए। चयन समिति ने हरियाणा के मनोज जाले और उत्तराखंड के सुधांशु बिष्ट को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए चुना और उन्हें 1 लाख रुपये का चेक, सम्मान पत्र और शॉल भेंट किया।

 

 

14वां राष्ट्रीय शिल्प मेला 8 दिसंबर तक जारी रहेगा और इस दौरान दर्शक विभिन्न शिल्पकला प्रदर्शन, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और पारंपरिक व्यंजनों का आनंद ले सकेंगे। यह मेला न केवल भारतीय शिल्प कला को एक वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करता है, बल्कि यह देश के विभिन्न हिस्सों की सांस्कृतिक धरोहर को भी एक नई पहचान देने का अवसर प्रदान करता है।

 

इस अवसर पर प्रशासक के सलाहकार श्री राजीव वर्मा, राज्यपाल के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री के शिव प्रसाद, चंडीगढ़ के गृह सचिव श्री मनदीप सिंह बराड़, संस्कृति निदेशक श्री सौरभ अरोड़ा और चंडीगढ़ प्रशासन के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

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