9 जनवरी 2025:
बाबा रामदेव की दिव्य फार्मेसी द्वारा निर्मित चूर्ण में ड्रग्स होने के मामले में नया मोड़ आया है। हरियाणा लोकायुक्त कार्यालय से केस से संबंधित 111 महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब हो गए थे, जिसके कारण कोर्ट ने हरियाणा लोकायुक्त के तीन अधिकारियों को समन जारी किया है।
अंबाला कैंट के महेशनगर निवासी दीपक संधू ने लोकायुक्त और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज (एडीजे) की कोर्ट ने लोकायुक्त कार्यालय के जुगेश कुमार (एसपीआईओ कम अंडर सेक्रेटरी), रणजीत कौर (पहली अपील अथॉरिटी कम सचिव) और राजेश कुमार (एसपीआईओ कम अधीक्षक, मुख्यमंत्री ग्रीवेंस रेडरेसल सेल) को समन जारी किया है।
ड्रग्स विवाद की पृष्ठभूमि वर्ष 2019 में अंबाला निवासी दीपक संधू ने दिव्य फार्मेसी के चूर्ण में ड्रग्स होने की शिकायत स्वास्थ्य विभाग में दर्ज करवाई थी। चूर्ण के नमूने की जांच के लिए पटियाला की एक लैब में भेजा गया, जहां से रिपोर्ट मिली कि चूर्ण में कोई ड्रग्स नहीं है।
बाद में, संधू ने आरटीआई के जरिए लैब की रिपोर्ट की प्रतिलिपि मांगी, जिससे पता चला कि रिपोर्ट फर्जी थी। पुलिस जांच में भी लैब की रिपोर्ट को फर्जी करार दिया गया।
111 दस्तावेजों का गायब होना दीपक संधू ने इस मामले से संबंधित 111 दस्तावेज हरियाणा लोकायुक्त कार्यालय में जमा कराए थे। इनमें से 95 दस्तावेज उन्होंने रजिस्टर्ड पोस्ट से भेजे, जबकि बाकी 16 दस्तावेज खुद जाकर जमा किए। लेकिन जनवरी 2020 में लोकायुक्त द्वारा जारी आदेश में इन दस्तावेजों का कोई उल्लेख नहीं था। जब आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी गई, तो खुलासा हुआ कि पूरी फाइल गायब हो चुकी है।
राज्य सूचना आयोग का हस्तक्षेप संधू ने चंडीगढ़ राज्य सूचना आयोग में शिकायत दर्ज की। आयोग ने दस्तावेज गुम करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ जांच और कार्रवाई के आदेश दिए। इसके बाद तीन किस्तों में शिकायतकर्ता को दस्तावेज लौटाए गए, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हुआ कि दस्तावेज गायब कैसे हुए और जिम्मेदारी तय नहीं की गई।
पुलिस रिपोर्ट में लापरवाही का खुलासा पुलिस की जांच रिपोर्ट में हरियाणा लोकायुक्त कार्यालय के अधिकारियों को लापरवाही का दोषी पाया गया। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। संधू ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील की, जहां उनकी दलीलें दर्ज किए बिना याचिका खारिज कर दी गई थी। एडीजे की कोर्ट ने अब मामले की गंभीरता को देखते हुए तीनों अधिकारियों को समन जारी कर तलब किया है।
इस प्रकरण ने सरकारी दस्तावेजों की सुरक्षा और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।