गांधी स्मारक भवन में अमर शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के शहीदी दिवस पर साहित्यिक संगोष्ठी आयोजित की
चंडीगढ़: गांधी स्मारक निधि (पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश) पट्टीकल्याणा, जिला पानीपत (हरियाणा) द्वारा संचालित गांधी स्मारक भवन के सेक्टर 16 स्थित स्थानीय कार्यालय में आज अमर शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के शहीदी दिवस पर एक साहित्यिक संगोष्ठी आयोजित की गयी | इस संगोष्ठी का आयोजन गांधी स्मारक भवन और चंडीगढ़ वरिष्ठ नागरिक एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में किया गया जिसकी अध्यक्षता चंडीगढ़ वरिष्ठ नागरिक एसोसिएशन के प्रधान एस. सी. अग्रवाल ने की तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष तथा माननीय राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित सुदेश शर्मा ने की | संगोष्ठी के मुख्य वक्ता न्यायिक सदस्य, हरियाणा विश्व गुरुद्वारा न्यायिक आयोग तथा पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता जसमीत सिंह बेदी थे | संगोष्ठी के आयोजन में गांधी स्मारक भवन की सलाहकार रंजना गोयल, कार्यालय कर्मी संजू, सपना, राजू और अखिलेश का विशेष योगदान रहा | इस अवसर पर शहर के अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे जिनमें आशुतोष, नेहा, गिरवर शर्मा, सुनीता वर्मा, सुरेश वर्मा प्रमुख थे | मंच संचालन गांधी स्मारक निधि के ट्रस्टी राजेश आत्रेय ने किया | संगोष्ठी में सर्वप्रथम सभी उपस्थितों ने वीर स्वतंत्रता सैनानी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की | तत्पश्चात वरिष्ठ नागरिक आशा शर्मा ने एक पंजाबी गीत “जदों वीर भगत सिंह साहिब नूं दित्ता फांसी दा हुकम सुना” पेश कर सभी दर्शकों को भाव विभोर कर दिया| अपने मुख्य उद्बोधन में जसमीत सिंह बेदी ने तीनों वीर सपूतों के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला तथा उस घटना का पूरा ब्योरा दिया जिसमें लाला लाजपत राय की शहादत का बदला लिया गया | उन्होंने इन वीर सपूतों पर चले मुक़दमे, सजा तथा जेल के अन्दर उनके जीवन की भी पूरी जानकारी दी | अपने उद्बोधन की शुरुआत बेदी जी ने कुमार विश्वास की इन प्रसिद्ध पंक्तियों से की “प्रथम पद पर वतन ना हो तो हम चुप रह नहीं सकते, किसी शव पर कफ़न ना हो तो हम चुप रह नहीं सकते, भले सत्ता को कोई भी सलामी दे न दे लेकिन, शहीदों को नमन ना हो तो हम चुप रह नहीं सकते” | अपने संबोधन के अंत में भी बेदी जी ने इकबाल के इस मशहूर शेर के साथ नव पीढी को सन्देश दिया कि “वतन की फ़िक्र कर ए नादाँ, मुसीबत आने वाली है | तेरी बर्बादियों के मश्वरे हैं आसमानों में, न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिंदुस्तान वालों, तुम्हारी दास्ताँ तक भी न होगी दास्तानों में | इसके पश्चात रेखा मित्तल ने अपनी कविता “भगत सिंह के दिल में इन्कलाब की जलती हुई चिंगारी थी, आज़ादी के सिवा कुछ मंज़ूर नहीं भारत माँ को उसको प्यारी थी” सुनाई | हिन्दी और पंजाबी की कवियत्री तथा कत्थक नृत्यांगना सुधा मेहता ने अपने पंजाबी गीत “ओ भगत सिंहा, तेरियां उडीकां पंजाब च, ना तेरे जिहा सूरमा जो, ज़मीर जगावे पंजाब च” सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया | प्रसिद्ध कवियत्री मंजू खोसला ने स्वरचित कविता “हम में है भगत, कैसे भूलें तुझे ए शूरवीर, भारत के शमशेर भगत” सुना कर उपस्थित दर्शकों में जोश भर दिया | बीएसएनएल से सेवानिवृत्त लेखा अधिकारी अशोक शर्मा ने हरियाणवी रागनी “लाहौर जिले में छोटा सा एक बंगा गाम सुना हो रे” सुना कर एक बेहतरीन समां बाँध दिया | तत्पश्चात अंग्रेज़ी और हिन्दी भाषा की उभरती हुई कवियत्री जया सूद ने अपनी कविता “चल दिए वो वीर सैनानी, इन्कलाब का नारा लगाए” सुना कर सभी दर्शकों की वाहवाही बटोरी | मंच संचालन के दौरान राजेश आत्रेय ने सुखदेव और राजगुरु के जीवन पर भी प्रकाश डाला एवं उनके जीवन की कुछ रोचक घटनाएं दर्शकों से सांझा की | अपने उद्बोधन में सुदेश शर्मा ने कहा कि हमारी ये आज़ादी उन सभी वीर सपूतों की बदौलत है जिन्होंने हँसते हँसते देश की खातिर अपनी जान की बाजी लगा दी, अपनी भरी जवानी में ही फांसी के फंदे को चूम लिया और आने वाली नस्लों के लिए एक नई मिसाल कायम की | उन्होंने कहा कि पंजाब की धरती ने ऐसे अनेक सपूत दिए हैं जिन्होंने सदा देश हित को निजी हित से पहले रखा तथा वे कालजयी बन गए हैं | अपने अध्यक्षीय भाषण में एस. सी. अग्रवाल ने कहा ये देश भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव जैसे वीरों का सदा ऋणी रहेगा जिनका एकमात्र लक्ष्य देश की आज़ादी था | उन्होंने कहा कि ऐसे और भी अनेक स्वतंत्रता सैनानी हैं जिन्होंने देश की खातिर अपना सर्वस्व लुटा दिया और उनके प्रति हमारी सच्ची श्रधांजलि यही होगी कि हम उनके बलिदानों से मिली इस आज़ादी की रक्षा कर सकें और अपने देश को महानता के मार्ग पर ले जा सकें | कार्यक्रम के अंत में गांधी स्मारक भवन के प्राकृतिक चिकित्सक डॉक्टर अवनीश मेहरा ने सभी मेहमानों और उपस्थित जन समूह का धन्यवाद करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजनों में हमारा यही उद्देश्य रहता है कि आने वाली पीढी अपने महान स्वतन्त्रता सैनानियों को सदा याद रखे और उनके पदचिन्हों पर चलने की प्रेरणा ले सके|